प्रदेश समेत पांच राज्यों में दिसंबर माह की शुरूआत में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। हालांकि इन चुनावों में अभी करीब 45 दिन का समय बाकी है, लेकिन इससे पहले राजनीतिक दल प्रत्याशियों के चयन करने में पूरी सावधानी बरतने के मूड में नज़र आ रहे हैं। इसी बीच विधानसभा चुनावों के लिए प्रत्याशी चयन पर जयपुर में चल रहे बीजेपी के महामंथन में आपराधिक अतीत वाले दावेदारों के खिलाफ संघ ने कड़ा रुख दिखाया है। संघ ने बेदाग चेेहरों को जगह देने और अपराधियों को राजनीति से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए यह बड़ा कदम उठाया है। संघ की ओर से आपराधिक पृष्ठभूमि वाले आधा दर्जन से अधिक दावेदारों पर आपत्ति जताई गई है।
बलात्कार और हत्या जैसे आरोपों में नामजद रहे नेताओं की दावेदारी का विरोध
सूत्रों के प्राप्त जानकारी के अनुसार इनमें हनुमानगढ़ की भादरा विधानसभा सीट से एक हिस्ट्रीशीटर की दावेदारी पर विरोध जताया गया है। संघ ने यहां से बलात्कार और हत्या जैसे आरोपों में नामजद रहे एक जातीय नेता की दावेदारी का विरोध किया है। बताया जाता है कि यह नेता आनंदपाल प्रकरण से लेकर अब तक कई मामलों में बीजेपी के खिलाफ ही आंदोलन चलाता रहा है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के गृह जिले झालावाड़ की अकलेरा विधानसभा सीट से टिकट के एक प्रमुख दावेदार पर भी संघ ने ऐतराज जताया है। टिकट के प्रबल दावेदार इस नेता पर भी गंभीर किस्म के अपराध के लगभग दो दर्जन मामले चल रहे हैं। इसके अलावा झुंझुनूं विधानसभा सीट पर दावेदारी ठोक रहे एक हिस्ट्रीशीटर के नाम पर भी मतभेद उभरकर सामने आया है। इसके बाद अब कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी चुनाव में संगीन अपराध के आरोपियों को अपना प्रत्याशी बनाने से बच सकती है।
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अपराधियों को राजनीति से बाहर रखने की कड़ी पैरवी कर रहा है संघ
संघ आगामी विधानसभा चुनाव में अपराधियों को राजनीति से बाहर रखने की कड़ी पैरवी कर रहा है। मारवाड़ में बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा सीट से एक अपराधिक गतिविधियों में शामिल आरोपी को टिकिट मिलने की संभावनाओं पर भी विवाद उभरकर सामने आया है। बताया जाता है कि यह खुद को संघ का करीबी मानता है। इस दावेदार पर हत्या और जेल से फरार होने जैसे गंभीर आरोप हैं। विधानसभा चुनाव में टिकट के इस दावेदार पर रामसर थाने में शराब तस्करी के कई मुकदमे चल रहे हैं। ऐसे में संघ ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहे लोगों को राजनीति से बाहर करने का फैसला किया है। दरअसल, संघ के इस प्रयास से जनता के बीच भी यह साफ संदेश जाएगा कि बीजेपी अपराधियों की राजनीति में पैरवी नहीं करती है।