जयपुर। साल 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी की करारी हार के बाद से वसुंधरा राजे सूबे की सियासत में हाशिए पर थीं। चुनावी साल में अब वो फिर से फ्रंटफुट पर नजर आ रही हैं। पार्टी ने भी उन्हें दोबारा तरजीह देना शुरू कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थकों के लिए अच्छी खबर है। केंद्रीय भाजपा नेतृत्व ने वसुंधरा पर एक बार फिर मन बना लिया है। राजे को केंद्रीय नेतृत्व ने झारखंड की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। झारखंड में राजे को मिली बड़ी जिम्मेदारी के बाद माना जा रहा है कि उन्हें राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले यहां भी बड़ी जिम्मा सौंपा जाएगा। राजनीति के जानकार झारखंड में राजे को मिली जिम्मेदारी को अच्छे संकेत मान रहे हैं। इसके साथ ही यह कयास हैं कि राजे और केंद्रीय नेतृत्व के बीच अब नजदीकियां बढ़ने लगी हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले वसुंधरा राजे फ्रंटफुट पर
राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व सीएम वसुंधरा राजे फ्रंटफुट पर खेलनी लगी है। वसुंधरा राजे की सक्रियता से उनके धुर विरोधी सक्रिय हो गए है। यहीं वजह है कि प्रदेश बीजेपी के बड़े नेताओं ने फिर कहना शुरू कर दिया है कि चुनाव में चेहरा पीएम मोदी ही होंगे। हालांकि, वसुंधरा राजे कैंप के नेता फिलहाल खामोश है। वसुंधरा राजे ने कोटा में बड़ी रैली आयोजित कर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा।
अमित शाह ने राजेकी तारीफ कर दिए नए संकेत
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के भाषण के खास बात यह रही कि उन्होंने अपने सियासी विरोधियों पर खुलकर कुछ नहीं बोला। सियासी जानकारों का कहना है कि उदयपुर में अमित शाह ने वसुंधरा राजे की तारीफ कर नए संकेत दिए है। अमित शाह-वसुंधरा राजे की केमिस्ट्री से धुर विरोधी धड़ा सक्रिय हो गया है।
अमित शाह और वसुंधरा राजे की केमिस्ट्री
राजस्थान में पिछसे साढ़े चार साल से वसुंधरा राजे कैंप नेता अहम मीटिंग और कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए थे। लेकिन अमित शाह के दौरे के बाद वसुंधरा राजे गुट के माने जाने वाले नेता सक्रिय हो गए है। हालांकि, विधानसभा चुनाव किसके चेहरे पर लड़ा जाएगा। इसको लेकर पार्टी ने कोई निर्णय नहीं लिया है। हालांकि, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने फिर वहीं बात रिपीट की है कि विधानसभा चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ा जाएगा।
राजे के बिना बीजेपी की राह आसान नहीं
सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी चुनाव में वसुंधरा राजे के चेहरे के बिना उतरती है तो राह आसान नहीं होगी। वजह यह है कि गहलोत सरकरा के खिलाफ जमीनी स्तर पर सत्ता विरोधी माहौल नहीं है। कांग्रेस के विधायकों के प्रति जन आक्रोश है। पार्टी विधायकों की टिकट काट देती है कि कांग्रेस की सरकार रिपीट हो सकती है। जानकारों का यह भी कहना है कि वसुंधरा राजे को सीएम फेस घोषित करने पर बीजेपी को लाभ मिल सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राजस्थान बीजेपी में वसुंधरा राजे की कदकाठी का नेता भी नहीं है।
हर पांच साल बाद सत्ता बदलने का ट्रेंड
राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के अंत में है। राजस्थान में हर पांच साल बाद सत्ता बदलने की रवायत रही है। लेकिन इस बार सीएम गहलोत का दांवा है कि उनकी सरकार सत्ता में वापसी करेगी। वसुंधरा राजे बीते साढ़े चार से सीएम गहलोत पर जुबानी हमले करने बचती रही हैं। लेकिन इन दिनों वसुंधरा के निशाने पर सीएम गहलोत है। दूसरी तरफ सीएम गहलोत मे वसुंधरा राजे की पालनहार योजना की तारीफ की है।
अमित शाह ने की थी राजे की तारीफ
उदयपुर दौरे के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की तारीफ करते हुए कहा कि वसुंधरा राजे ने राजस्थान में विकास की नई राह बनाई। जयपुर में हुए बम ब्लास्ट को लेकर कहा कि उस वक्त मैं गुजरात में गृह मंत्री था और यहां वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थीं। जिन्होंने सबको पकड़ कर जेल में डाला। सब को सजा हुई। लेकिन इनके एडवोकेट जनरल को पैरवी करने की फुर्सत ही नहीं। इसलिए सारे दहशतगर्द आतंकवादी छूट गए। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के शासन में जब यहां वसुंधरा राजे सीएम थीं, तब आतंकवाद पर लगाम कसने का काम बीजेपी ने किया था।
परिवर्तन के पीछे कर्नाटक चुनाव नतीजों का रोल
वसुंधरा राजे को लेकर बीजेपी और शीर्ष नेतृत्व के रुख में आए परिवर्तन के पीछे कर्नाटक चुनाव नतीजों का बड़ा रोल माना जा रहा है। कर्नाटक में बीजेपी की हार के पीछे हर चुनाव में पीएम मोदी के चेहरे पर दांव लगाने की रणनीति और मजबूत स्थानीय चेहरे येदियुरप्पा को दरकिनार किए जाने को भी बड़ी वजह बताया गया। माना जा रहा है कि बीजेपी राजस्थान में वसुंधरा राजे को दरकिनार कर कर्नाटक वाली गलती नहीं दोहराना चाहती।