किसी भी प्रदेश का विकास केवल तब ही संभव है। जब उस प्रदेश की गली-गली विकास की राह से जुड़ी हो। प्रत्येक घर से निकलने वाली डगर पक्की हो। तभी हम सही मंजिल तक पहुँच पाएंगे। विकास के मार्ग को प्रशस्त करने की लिए ही राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गौरव पथ योजना की शुरुआत की थी। जिसके परिणाम स्वरुप आज राज्य की प्रत्येक ग्राम पंचायत एवं शहरी निकयों में सीमेंट-कंक्रीट के पक्के गौरव पथों का निर्माण कराया गया है। जिससे राजस्थान के गांव-गांव और शहर-शहर में पक्के रास्ते बने और राज्यवासियों का आतंरिक आवागमन आसान, सुगम व सरल हुआ है।
क्या है गौरव पथ योजना?
गौरव पथ योजना एक ऐसी योजना है, जिसके अंतर्गत राज्य में प्रत्येक ग्राम पंचायत तथा शहरी निकायों में स्थित मुख्य रास्तों का पक्का एवं मज़बूत निर्माण किया गया। प्रत्येक गांव व शहरों में 500 मीटर से लेकर 2 किलोमीटर की लम्बाई में पथों को रोड़ी, बजरी, सीमेंट से पक्का निर्माण करवाया गया। तथा मार्ग के दोनों तरफ़ जल निकासी के लिए पक्की सड़कें भी बनबायी गयी। ताकि आमजन को आवागमन में सुविधा हो एवं रस्तों पर जल भराव ना हो।
गौरव पथ योजना के लाभ एवं सफलताएं
मुख्यमंत्री गौरव पथ योजना को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा अपने कार्यकाल के पहले बजट सत्र में ही स्वीकृत कर धरातल पर उकेरना शुरू कर दिया था। घोषणा की गयी थी की राज्य कि सभी 9894 ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर चरणबद्ध रूप से ग्रामीण गौरव पथों का निर्माण होगा। जिसके फलस्वरूप गत पांच वर्षों में प्रदेश की 9 हज़ार 679 ग्राम पंचायतों में 5 हज़ार करोड़ रुपये की लागत के 8 हज़ार आठ सौ किलोमीटर गौरव पथों की स्वीकृति दी गयी। जिनमे से अब तक विभिन्न ग्राम पंचायतों में तीन हज़ार दो सौ पचास करोड़ रुपये की लागत से 5 हज़ार नौ सौ पचास किलोमीटर की लम्बाई में 6 हज़ार तीन सौ तीस गौरव पथों का निर्माण किया जा चूका है। तथा शेष ग्राम पंचायतों में एक हज़ार सात सौ पचास करोड़ रुपये की लागत के 2 हज़ार आठ सौ पचास किलोमीटर की लम्बाई में 3 हज़ार 349 गौरव पथों का निर्माण जारी है। शहरी निकायों में भी अब तक सभी निकायों में 267 करोड़ रुपये की लागत से 271 किलोमीटर की लम्बाई में 141 गौरव पथों का निर्माण पूर्ण चूका है। एवं 179 करोड़ 37 लाख़ रुपये की लागत से 31 किलोमीटर के 40 गौरव पथों का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
आज प्रदेश की प्रत्येक ग्राम पंचायत में ग्रामीण गौरव पथों के निर्माण से गांव वासियों का स्कूल, अस्पताल, मंदिर, चैपाल, खेत, पास के गावों, कस्बों में जाना-आना आसान हो गया है। साथ ही सरकार ने राज्य राजमार्गों का विकास करने के लिए मई 2015 में ‘राजस्थान राज्य राजमार्ग अधिनियम’ लागू किया। राज्य में पीपीपी से 14 राज्य राजमार्गों यानि स्टेट हाइवेज़ के विकास का काम चालू हो चुका है। 805 किलोमीटर के इन राजमार्गों का निर्माण लगभग 1 हज़ार 7 सौ पचास करोड़ रुपयों की लागत से होगा। वहीं राज्य के दूर-दराज तक के गांवों और ढाणियों को सड़कों से जोड़ने के लिये सरकार ने 4 वर्षों में विभिन्न योजनाओं में 22 हज़ार किलोमीटर से ज़्यादा लम्बाई की सड़कों का निर्माण किया है। इन सब प्रयासों से 5 हज़ार 5 सौ से ज़्यादा गांव और ढाणियों को सड़कों से जोड़ा जा चुका है। इनके अलावा 6 हज़ार से अधिक नई सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा है।
Read More: राजस्थान बीजेपी ने हाई कोर्ट में पेश किया ‘राजस्थान गौरव यात्रा’ पर अब तक खर्च का ब्यौरा
गौरव पथ योजना के परिणाम
आज प्रदेश की तस्वीर पूर्ण रूप से बदल चुकी है। जहाँ पहले बरसात में छोटे रास्तों पर चलना भी दुश्वार था। ग्रामीण गौरव पथ बन जाने के बाद शहरों की दूरियां तो कम हुई है, साथ ही शहर से मिलने वाली अस्पताल, स्कूल, बाजार जैसी सुविधाओं तक कम समय में पहुंच होने से जनजीवन पहले से आसान हुआ है। कईं गांवों में बरसात के दिनों में घुटनों तक कीचड़ हो जाता था, आने-जाने में खासी दिक्कत होती थी। स्कूल जाने में बच्चों को परेशानी रहती थी। वहीं अब ग्रामीण गौरव पथ निर्माण से हर तरह का आराम हो गया है। बच्चों को स्कूल जाने में अब परेशानी नहीं होती। शहरों के विभिन्न निकायों जिनमे पहले पक्की सड़क नहीं थी। जिन कॉलोनियों की राह गढ्ढों की वजह से दुर्गम थी। गौरव पथ योजना की मदद से वो राहें अब सुगम हो गयी हैं।