राजस्थान का क्षत्रिय समाज हमेशा से भाजपा की मजबूती रहा हैं। क्षत्रिय कट्टर राष्ट्रवादी होने की वजह से हमेशा भाजपा का समर्थन करता रहा है। इस बार भी केंद्र में मोदी सरकार को लाने में क्षत्रिय यानी राजपूत समाज का सबसे अहम योगदान हैं। राजपूत हमेशा भाजपा के वोट बैंक के रूप में गिने जाते हैं। राजस्थान में 8-10% राजपूत आबादी है और इतनी ही संख्या राजपूतो की उपजातियों की भी है। जो सदियों से भगवा झंडा थामे हुए है। यहाँ तक कि कई जगह कायमखानी मुस्लिम राजपूत भी बीजेपी को ही समर्थन करते हैं।
मुख्यमंत्री राजे हमेशा राजपूत समाज के साथ
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राजस्थान के एक बड़े राजपूती घराने से संबंध रखती हैं ऐसे में राजस्थान के राजपूत समाज को एक सूत्र में बांधने का महान कार्य मुख्यमंत्री राजे नें बड़ी निष्पक्षता के साथ किया है। राजस्थान का राजपूत समाज हमेशा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ खड़ा रहता हैं। राजस्थान के विकास में प्रदेश के क्षत्रिय समाज में अहम योगदान रहा हैं। मुख्यमंत्री राजे कि निष्पक्षता ने राजपूत समाज को आज एक सम्मानित जीवन प्रदान किया हैं।
राजपूतों ने किया हर बार मुख्यमंत्री राजे का समर्थन
राजस्थान में राजपूत समुदाय का एक अनछूआ हिस्सा राजनीति से प्रेरित होकर मुख्यमंत्री राजे का विरोध करता हैं। ये वो लोग हैं जिनका राजस्थान की राजनीति में भाजपा एवं भगवा से कोई लेना देना नही होता। राजस्थान के राजपूतों ने हमेशा मुख्यमत्री राजे का सहयोग किया हैं। आज राजस्थान के सबसे कद्दावर राजपूत घराने जयपुर राजवंश और मुख्यमंत्री राजे ने प्रदेश के राजपूत समुदाय के लिए मिशाल पेश कर रहा हैं। महारानी पदमिनी देवी औऱ मुख्यमंत्री राजे एक दूसरे का सम्मान करती हैं। इसके अलावा राजस्थान में राजपूत समाज को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री राजे ने राजपूत समुदाय के कई लोगों को विधानसभा चूनाव में टिकट दिये हैं। राजकूमारी दिया कुमारी भी इसी का नतीजा हैं। आज राजस्थान की विधान सभा में 28 राजपूत विधायक राजपूत समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। तीन सांसद भी राजस्थान के राजपूतों का केंद्र में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
राजपूत समाज से दूर नही जा सकती मुख्यमंत्री राजे
राजस्थान में राजपूतों के उपसमुदायों से मिलकर बनी करणी सेना और राजपूत सभा के लोग मुख्यमंत्री राजे के साथ मिलकर प्रदेश के विकास का कार्य कर रहे हैं। प्रदेश में कुछ राजपूत समुदाय के लोग मुख्यमंत्री राजे का विरोध जरूर करते हैं लेकिन मुख्यमंत्री राजे की साफ एवं विस्तृत छवि उन्हे दूर नही जाने देती। यह ऐसा हैं जैसा एक परिवार की आपसी अनबन, लेकिन अंत में सब एक हो जाते हैं।