बुधवार को राज्य बजट में सरकार प्रदेश वासियों को कई सौगात दे सकती है। अगर सरकार की योजना रंग लाई तो प्रदेश के नौ हजार से अधिक गांव ऐसी ही सुविधाओं से लैस होंगे। स्मार्ट सिटी की तर्ज पर अब सरकार ने स्मार्ट विलेज योजना का खाका बनाना शुरू कर दिया है।
2 माह से राज्य सरकार कर रही हैं योजना पर मंथन
स्मार्ट विलेज योजना योजना के तहत सरकार की मंशा है कि प्रदेश के सभी 9854 ग्राम पंचायत मुख्यालयों को स्मार्ट विलेज के तौर विकसित करने की योजना है। सरकार पिछले करीब दो माह से इस योजना पर मंथन कर रही है। स्वयं मुख्यमंत्री पिछले माह योजना का प्रेजेन्टेशन देख चुकी है। इसके अलावा ग्रामीण विकास मंत्री राजेन्द्र राठौड़ और विभागीय आला अधिकारियों के स्तर पर कई बैठकें इस योजना को लेकर हो चुकी हैं।
स्मार्ट विलेज ऐसे होंगे कुछ खास
स्मार्ट गांवों में समान कलर कोड के तहत सभी सरकारी भवन एक जैसे रंग के होंगे, वहीं शहर जैसे पार्कों में सरकार ओपन जिम खोलने की तैयारी कर रही है। गांववालों को पैसे निकालने के लिए बैंक के चक्कर नहीं लगाने होंगे, इस सुविधा के लिए वहां एटीएम होंगे। इन गांवों में एक खास बात यह भी होगी कि पूरे गांव में कोई भी आवासीय भूखंड बिना पट्टे का नहीं होगा और बिना जल निकासी तंत्र कोई सड़क नहीं बनेगी।
9 हजार करोड़ की लागत का आंकलन
इसके अलावा गांव में ग्रामीण गौरव पथ, पुस्तकालय , व्यस्थित जल निकासी तंत्र, स्मार्ट बस स्टेण्ड, खैल मैदान, विकसित अंतिम संस्कार स्थल, एटीएम, चारा उत्पादन, पेयजल व्यवस्था, पशु स्वास्थ्य केन्द्र, मृदा परीक्षण केन्द्र देसी गौवंश कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र, ई.मित्र, सहकारी समितियां, आदि। नौ हजार करोड़ के खर्च का अनुमान पूरी योजना में करीब नौ हजार करोड़ रुपए से अधिक का शुरूआती आंकलन विभाग ने किया है।
जल्द पहनाया जाएगा योजना को अमली जामा
स्वयं मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हाल ही हुई उच्च स्तरीय बैठक में इस बारे में प्रेजेन्टेशन दिया गया। सूत्रों ने बताया कि अनुमान के अनुसार आठ हजार करोड़ रुपए के संसाधन विभिन्न विभागीय येाजनाओं के कन्वर्जेंस से जबकि करीब ग्यारह सौ करोड़ रुपए की राशि अन्य स्रोतों से जुटाने की योजना है। हालांकि पूरी योजना को ही कन्वर्जेंस के जरिए अमली जामा पहनाया जा सकता है।
आधा दर्जन विभागों का तालमेल स्मार्ट विलेज योजना करीब आधा दर्जन महकमों के आपसी तालमेल से धरातल पर आएगी। योजना में पंचायती राज व ग्रामीण विकास के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, कृषि, सहकारिता और ऊर्जा विभागों की सहभागिता होगी।