राजस्थान बायोफ्यूल नीति-2018 को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। राज्य के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने भारत सरकार की राष्ट्रीय बायोफ्यूल नीति 2018 को सबसे पहले लागू किया है। पंचायती राज मंत्री राठौड़ की अध्यक्षता में सोमवार को यहां इन्दिरा गांधी पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थान में बायोफ्यूल प्राधिकरण उच्चाधिकार समिति की आयोजित चतुर्थ बैठक में बायोफ्यूल नीति 2018 को प्रदेश में लागू करने को अनुमोदन किया। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा इस कच्चे तेल के आयात में कमी लाए जाने के उद्देश्य से घरेलू स्तर पर जैव ईधन का उत्पादन को बढावा देने के लिए प्रधानमंत्री के ‘स्वच्छ भारत एवं मेक-इन इंडिया’ अभियानों को बढावा देते हुए भारत सरकार के पैट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा हाल ही में 4 जून, 2018 को राष्ट्रीय जैव ईधन नीति-2018 घोषित की गई है।
रेलवे के सहयोग से राज्य में बायोडीजल उत्पादन सयंत्र की स्थापना
पंचायती राज मंत्री राठौड़ ने कहा कि बायोफ्यूल के उपयोग के प्रति आमजन को जागरूक करने एवं तैलीय बीजो का उत्पादन बढाने के साथ उसके फायदों व मार्केटिग व्यवस्था का व्यापक प्रचार-प्रसार जोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बयोफ्यूल संबंधित गतिविधियों विशेषकर उत्पादन व वितरण प्रक्रिया के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु राजस्थान जैव ईधन नियम 2018 को लागू किए जाने के साथ बायोडीजल उत्पादन हेतु भारतीय रेलवे के वित्तीय सहयोग से राज्य में 8 टन प्रतिदिन क्षमता वाले बायोडीजल उत्पादन सयंत्र की स्थापना की गयी है। उन्होंने कहा कि देश में सर्वप्रथम राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद के महिला स्वयं सहायता समूहों को भी एकत्रिकरण एवं बायोडीजल सप्लाई के माध्यम से अतिरिक्त आय के अवसर उपलब्ध कराने हेतु कार्यवाही कर अखाध्य तैलीय पौधों के उत्पादन को बढ़ावा देने प्रयास किए जा रहे हैं।
50 हैक्टेयर में ‘सेन्टर फोर एक्सिलेन्स’ की स्थापना की जाएगी
पंचायती राज मंत्री राठौड़ ने बताया कि अनुसंधान हेतु महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के तकनीकी सहयोग से 50 हैक्टेयर में ‘सेन्टर फोर एक्सिलेन्स’ की स्थापना की जाएगी, वहीं बायोडीजल की गुणवक्ता को सुनिश्चित करने राज्य में प्रयोगशाला स्थापना करने साथ बायोफ्यूल व ड्रोप इन फ्यूलस् आदि के उत्पादन, वितरण आदि को भी कार्यक्षेत्र में सम्मिलित करने का निर्णय लिया गया। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री राठौड़ ने उक्त बैठक में लिए गए निर्णयों की त्वरित कार्यवाही पर जोर दिया साथ ही बताया कि इस नीति को राज्य में लागू किए जाने से प्रधानमंत्री के ‘स्वच्छ एवं हरित ईधन द्वारा बेहतर भारत सृजन’ के स्वप्न को साकार करने तथा खाड़ी व झाड़ी के तेल को मिलाने के उद्देश्य पूरा करने में मदद मिलेगी।
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इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों विशेषकर जनजाति क्षेत्र के लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा, उनके आर्थिक स्तर में सुधार लाया जा सकेगा तथा सयंत्र स्थापित होने से इस क्षेत्र का भी विकास होगा, पर्यावरण शुद्ध होगा एवं सबसे बड़ी बात यह है कि हमारा देश डीजल के क्षेत्र में आयात कम कर आत्मनिर्भर बन सकेगा। बैठक में बायोडीजल पर अधिभारित 12 प्रतिशत जीएसटी में से 6 प्रतिशत सीजीएसटी को मुक्त कराने, संचालित औद्योगिक नीति के प्रावधानों में जैव ईधन संयत्र की स्थापना किए जाने पर पानी एवं बिजली के बिलों में प्रथम 10 वर्षों तक छूट का देने तथा बायोडीजल सयंत्रों हेतु प्रयोग में ली जाने वाली भूमि पर लगने वाली स्टॉम्प ड्यूटी में छूट दिलाने वही बायोडीजल सयंत्रों की स्थापना हेतु एकल खिड़की के माध्यम से समस्त प्रक्रिया को आसान करने पर चर्चा की गयी।