राजस्थान विधानसभा चुनाव के मतदान 7 दिसम्बर को डल चुके हैं। अब इंतजार है मतदान के परिणामों का जो 11 दिसम्बर यानि कल आने वाले हैं। प्रत्येक 5 साल बाद लोकतंत्र के इस उत्सव में किसके सिर जीत की पगड़ी बंधेगी, इस बात का सभी को बेसबरी से इंतजार है। लेकिन इस समय मार्केट में जो सबसे ज्यादा गर्माने वाली हवा है, वह है एक्जिट पोल। एक्जिट पोल भले ही अन्य पार्टियों को बढ़त दिला रहा हो लेकिन हम बता दें कि दिखाए जाने वाले आंकड़े मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की प्रदेशभर में निकाली जाने वाली रथयात्रा से पहले के बताए जा रहे हैं। राजे की रथयात्रा के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने न केवल जनता के मन से अविश्वास का डर दूर भगाया है, साथ ही आने वाले विकास की डोर को साधने का कार्य भी किया है।
अब बात करें एक्जिट पोल की तो यह हमेशा एक सा नहीं रहता। बात करें पिछले विधानसभा चुनावों की तो राजस्थान की 200 सीटों पर हुए चुनावों में एक्जिट पोल ने बीजेपी को 97, कांग्रेस को 79 और अन्य को 24 सीटें दिलाई थी लेकिन परिणाम कुछ अलग ही निकला। राजस्थान विधानसभा चुनाव-2013 में बीजेपी को मिली 163 सीटें। कांग्रेस के खाते में 21 और शेष 16 अन्य के पास गई। पूर्ण बहुमत के दम पर वसुन्धरा राजे ने दूसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री की बागड़ोर संभाली।
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इसी तरह गौर करें 2014 के लोकसभा चुनावों पर आए एक्जिट पोल पर। यहां राजस्थान में कुल 25 लोकसभा सीटों पर बीजेपी को 16, कांग्रेस को 8 और एक सीट अन्य के नाम पर दिखाई गई थी लेकिन परिणाम आया बिलकुल उलट। सभी 25 के 25 सीटें मोदी लहर में बह गई और भाजपा के पाले में आ गिरी।
अब आते हैं इस बार के एक्जिट पोल पर। यहां बीजेपी को 85-95 और कांग्रेस को 101-105 सीट के आसपास दिखाया जा रहा है। जिस तरह पिछले 5 सालों में मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में प्रदेश में विकास को चहुंओर गति मिली है, एक्जिट पोल के आंकड़ों पर विश्वास किया जाना थोड़ा मुश्किल लगता है। इसके लिए अधिक इंतजार करना भी नहीं पड़ेगा क्योंकि 11 दिसम्बर को मतगणना के बाद चुनावी परिणाम और एक्जिट पोल की हकीकत आमजन सहित सभी के सामने आ जाएगी।
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