जयपुर। इस साल होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और बीजेसी सहित सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है। कांग्रेस ने अपने अंतिम बजट में कई घोषणा कर वो​ट को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है। वहीं बीजेपी अशोक गहलोत सरकार की असफलता को बुनने की कोशिश में जुटी हुई है। इन दिनों पार्टियों के अलावा आम आदमी पार्टी, हनुमान बेनीवाल और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) भी राजस्थान में अपनी ताल ठोकर रही है।

कामां और टोंक में करेंगे जनसभाएं
एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी 18 और 19 फरवरी को राजस्थान के दौरे पर आ रहे हैं। जहां वह इस बार पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के गढ़ टोंक में चुनावी ताल जा रहे है। बताया जा रहा है ओवैसी कार्यक्रम के मुताबिक वह राजस्थान के कामां और टोंक में एक के बाद एक दो जनसभाओं को संबोधित करेंगे। मालूम हो कि टोंक, मुस्लिम बाहुल्य सीट है और पायलट वहां से निर्वाचित विधायक हैं। माना जा रहा है कि 2023 के घमासान के लिए ओवैसी राजस्थान की 40 मुस्लिम सीटों को टारगेट करना चाहते हैं।

40 सीटों पर लड़ सकते है चुनाव
ओवैसी टोंक में नमाज अदा करने के बाद टोंक के गांधी खेल के मैदान तक एक जनसंपर्क कार्यक्रम के बाद रविवार (19 फरवरी) को एक सभा रैली को संबोधित करेंगे। इससे पहले शनिवार (18 फरवरी) को, वह कांमा में एक रैली करेंगे। टोंक के अलावा भरतपुर जिले की कांमा सीट भी मुस्लिम बाहुल्य है और वहां से राज्य मंत्री जाहिदा खान विधायक हैं। हालांकि एआईएमआईएम की ओर से राजस्थान के चुनावों को लेकर अभी सीटों का ऐलान नहीं किया गया है लेकिन ओवैसे की होने वाली जनसभाओं की यह दो सीटें बड़ी अल्पसंख्यक आबादी वाली है जिसके बाद माना जा रहा है कि पार्टी 40 सीटों पर राज्य में चुनाव लड़ सकती है।

मुस्लिम वोटर्स को साधना है रणनीति!
ओवैसी के राजस्थान आने का सबसे बड़ा कारण है कि यहां के मुस्लिम वोट बैंक पर नजर जहां 2011 की जनगणना में मुस्लिम जनसंख्या 9 फीसदी से अधिक थी। वहीं मुस्लिम कांग्रेस का परम्परागत वोट बैंक माना जाता रहा है। जानकारों का कहना है कि ओवैसी चुनावों से पहले राजस्थान में कांग्रेस के वोटबैंक में सेंध लगाने के अलावा बीजेपी से नाराज मुस्लिम वोटबैंक को साधना चाहते हैं।

कांग्रेस के वोटबैंक में लगेगी सेंध
यदि एआईएमआईएम अपनी रणनीति में अगर चुनावों में अगर डेंट लगाने में कामयाब होती है तो वह कांग्रेस के लिए खतरा बन सकती है। 40 सीटों का इतिहास देखें तो यहां आमतौर पर 15-16 सीटों पर हर बार मुस्लिम प्रत्याशी जीतकर आते हैं जिसके बाद ओवैसी इन्हीं सीटों पर प्रत्याशी उतारने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

शेखावाटी के अलावा इन सीटों पर रहेगा फोकस
आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में जयपुर, अजमेर, जैसलमेर, बाड़मेर, कोटा, सीकर, झुंझुनूं, चूरू, अलवर, भरतपुर, नागौर जिलों में स्थित सीटों पर हर चुनाव में 16 के करीब मुस्लिम प्रत्याशी जीत कर आते रहे हैं।

ये सीट हो सकती है किंग मेकर
आपको बात दें कि राजस्थान की इन 40 सीटों में से फिलहाल 33 पर कांग्रेस का कब्जा है और प्रदेश की सरकार बनाने के पीछे यह सीटें अहम रोल निभाती है। पिछले चुनाव में 40 में 29 सीटों पर कांग्रेस, 7 पर बीजेपी, 3 पर बसपा और 1 पर निर्दलीय को जीत मिली थी। वहीं वर्तमान में बसपा विधायक और निर्दलीयों का कांग्रेस को साथ है।