राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से पिछली भाजपा सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और जनता के लिए लाभकारी निर्णयों को पलटने का क्रम बदस्तूर जारी है। कई निर्णय अब तक बदल चुके हैं और कुछ जल्दी ही बदलने की तैयारी में है। अब वर्तमान राजस्थान सरकार की नजर मीसा बंदियों की सुविधाओं पर जाकर गढ़ गई है। राजस्थान सरकार मीसा बंदियों को मिल रही पेंशन और सुविधाओ को छीनने की तैयारी कर रही है। फिलहाल, पेंशन भत्ते में बढ़ोतरी आदि लाभ रोककर सरकार ने इसके संकेत भी दे दिए हैं। राज्य में करीब 542 मीसा बंदी हैं। बता दें, एमपी की कमलनाथ सरकार पहले ही इस राह पर चल पड़ी है। संभावना जताई जा रही है कि राजस्थान में भी यह तुगलकी फरमान लाया जा सकता है।
गौरतलब है कि 2008 में विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन भाजपा सरकार ने मीसा बंदियों के लिए पेंशन की योजना शुरू की थी। इसके बाद सरकार बदल गई। चुनाव के बाद सत्ता में आई कांग्रेस की राजस्थान सरकार ने 2009 में इसे बंद कर दिया था। 2013 में भाजपा सरकार ने सत्ता में वापसी करते ही मीसा बंदियों के लिए पेंशन की शुरुआत करते हुए इसकी राशि में बढ़ोतरी की थी। साथ ही इन्हें लोकतांत्रिक सेनानी का दर्जा भी दिया गया लेकिन कांग्रेस सरकार का सोचना थोड़ा अलग है। मंत्रिमंडल के मुखिया अशोक गहलोत तो इस पेंशन को भी डकारने के मूड में दिख रहे हैं।
हाल ही में मीडिया से बातचीत के दौरान सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि इस पर निर्णय कैबिनेट की बैठक में किया जाएगा। लेकिन माना यही जा रहा है कि राजस्थान सरकार ने मीसा बंदियों को मिलने वाली पेंशन बंद करने का पूरा मन बना लिया है। इसके संकेत मीसा बंदियों को मिलने वाली पेंशन भत्ते में बढ़ोतरी आदि लाभ के काम को रोककर दे दिए हैं।
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