रंग बिरंगे कुर्ता-धोती, सिर पर साफा लगाए और हाथों में सजे-धजे ऊंटों की लगाम थामे ग्रामीण। चारों ओर झूलों के चलने की आवाज और बीच-बीच में राजस्थानी वाद्ययंत्रों का मधुर संगीत। कुछ ऐसा ही नजारा नजर आता है अजमेर जिले के 11 किमी दूर हर साल लगने वाले पुष्कर मेले का। पशुओं की खरीद-फरोख्त के लिए विश्व विख्यात पुष्कर मेला-2017 की शुरूआत आज से हो गई है। हालांकि प्रतिवर्ष होने वाले इस मेले का विधिवत उद्घाटन कार्तिक पंचतीर्थ स्नान से एकादशी स्नान के साथ 28 अक्टूबर को झंड़ारोहण से साथ होगी, लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ अभी से जुटने लगी है। मेले की औपचारिक शुरूआत के साथ ही पशुओं की आवाक भी शुरू हो गई है। पुष्कर मेले में अभी तक 200 से ज्यादा विभिन्न प्रकार के पशुओं को लेकर पशुपालक यहां आ गए हैं जिनमें सबसे ज्यादा 156 ऊंट हैं। पुष्कर मेला-2017 में पशुपालकों ने रेत के धोरों के बीच अपने डेरे जमा दिए हैं।
देसी लुक में विदेशी बने आकर्षण का केंद्र
पुष्कर मेले में आने वाले पर्यटकों में बडी संख्या विदेशी सैलानियों की है। राजस्थानी वेशभूषा में रंगे ग्रामीणों के बीच विदेशी लुक वाले पर्यटक अलग ही आकर्षण बने हुए हैं। देसी लुक में विदेशी पर्यटक भी यहां आपका ध्यान खींचने में कामयाब होंगे।
जो शहर अभी तक चुपचाप बैठा हुआ था, अचानक वह भी हरकत में आ गया है। मेले के चारों और बाजार के साथ खाने-पीने की थड़ियां दिखनी शुरू हो गई हैं। साथ ही मनोरंजन के लिए झूले और कई तरह के पांड़ाल भी सजने लगे हैं। सफेद कुर्ता व धोती के साथ लाल व पीले रंग की पगड़ी सिर पर पहने लोग और रंग-बिरंगे व सजे हुए ऊंट अनायास ही ध्यान खिंचने में कामयाब होते हैं। स्थानीय ग्रामीण और व्यापारियों के अलावा बड़ी तादात में विदेशी सैलानी भी मेले का लुफ्ट उठाने पुष्कर पहुंच चुके हैं।
पर्यटन विभाग आयोजित करता है सांस्कृतिक कार्यक्रम
पुष्कर मेला-2017 में पशुओं की खरीद फरोख्त के अलावा, राजस्थानी लोक नृत्य, ऊंट दौड़ प्रतियोगिता, सामूहिक लोक नृत्य, हॉट एयर बलून आदि का भी अपना खास महत्व है।
पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. दिनेश कुमार राणा ने मेले की तैयारियों की जानकारी देते हुए बताया कि पुष्कर मेला-2017 की आवश्यक तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। साथ ही पशुओं की खरीद-फरोख्त भी शुरू हो गई है। पशुपालकों को बिजली सहित भोजन-पानी आदि की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इस मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों सहित अन्य आयोजन की व्यवस्था का दारोमदार स्थानीय प्रशासन पर होता है। आने वाले दिनों में विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं की ओर से भी यहां कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे।
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