राजस्थान के कोटा निवासी डॉ. आर.सी. साहनी और तपोवन नशा मुक्ति एवं पुनर्वास संस्थान श्रीगंगानगर को नई दिल्ली में केन्द्र सरकार द्वारा सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने बुधवार को कोटा मेडिकल कॉलेज के पूर्व अधीक्षक डॉ. साहनी को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित समारोह में नशा मुक्ति अभियान में योगदान के लिए व्यक्तिगत श्रेणी में सम्मानित किया। इसी प्रकार राष्ट्रपति कोविन्द ने श्रीगंगानगर के तपोवन नशा मुक्ति एवं पुनर्वास संस्थान को भी मद्यपान और नशीले पदार्थ, दवा दुरुपयोग की रोकथाम के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओ के लिए संस्था श्रेणी में पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया। संस्थान की ओर से पुरस्कार सचिव संदीप कटारिया ने ग्रहण किया। पुरस्कार में दोनों को प्रमाण पत्र, ट्रॉफी और दो-दो लाख रुपए के चेक प्रदान किए गए। समारोह में केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत, राज्य मंत्री रामदास आठवले, कृष्ण पाल गुर्जर व विजय सांपला के साथ अन्य कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
4 हज़ार युवाओं को नशा की लत से छुटकारा दिलवा चुके हैं डॉ. साहनी
राष्ट्रपति कोविन्द से पुरस्कार सम्मान ग्रहण करने के बाद डॉ. साहनी ने बताया कि उनकी संस्था संवेदना के माध्यम से वे अब तक 4 हज़ार युवाओं को नशा की लत से छुटकारा दिलवा चुके है। उन्होंने बताया कि वे अपनी पत्नी स्नेह साहनी के साथ जब लंदन मे थे, तब उन्हें अचानक हार्ट का ऑपरेशन करवाना पड़ा और उससे मिले जीवनदान को बोनस मान सरकारी नौकरी छोड़ नशा मुक्त अभियान में जी-जान से जुट गए। उन्होंने बताया कि स्काउट के चीफ कमिश्नर जे.सी. मोहंती द्वारा दिए गए 10 लाख स्काउट युवाओं को यूथ अगेंस्ट ड्रग्स के नारे ने उन्हें बहुत प्रभावित किया तथा 8 से 10 वर्षों के बच्चों के लिए खेल खेल में नशा मुक्ति का संदेश ‘स्टॉप बिफोर स्टार्ट’ द्वारा वे कॉन्सलिंग से समाज सेवा का बहुत बड़ा काम कर रहे हैं।
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युवाओं के उजड़े घरों को पुनः आबाद करने का किया काम
श्रीगंगानगर की तपोवन नशा मुक्ति एवं पुनर्वास संस्थान के सचिव संदीप कटारिया ने बताया कि उनकी संस्था के अध्यक्ष महेश पेड़ीवाल की प्रेरणा से वे सीमावर्ती गंगानगर में नशा से पीड़ित लोगों की सेवा कर रहे है। उन्होंने कई युवाओं के उजड़े घरों को पुनः आबाद करने का काम किया है। उन्होंने बताया कि युवाओ मे नशे की लत का आलम इस सीमा तक बढ़ गया है कि एक मामले में युवा कि न्यायाधीश माँ को अपने ही बेटे को कोर्ट में सजा सुनानी पड़ी, लेकिन उनकी संस्था ने उस युवा को नशे की बुरी आदत से छुटकारा दिलवाने मे सफलता मिली। कटारिया ने बताया कि यदि हम 10 युवाओं को नशे से मुक्त करते है तो 100 परिवारों में खुशियां लौटती है। उन्होंने कहा कि श्रीगंगानगर में शराब व निकटवर्ती प्रदेश के युवाओं में स्मैक व गांजा आदि की बुराइयों से लड़ने में उनकी संस्था लगी हुई है।