कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी को अपने साधारण रहन-सहन और प्रदेश में पहली बार जैतून की खेती (चाय) के साथ खजूर की खेती के लिए याद किया जाता है।
वर्तमान राजस्थान सरकार में कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी का आज जन्मदिन है। टोंक जिले के ग्राम आवां, देवली में जन्में सैनी आज अपना 64वां जन्मदिवस मना रहे हैं। इस उपलक्ष्य पर ‘न्यूज़ आॅफ राजस्थान’ और पूरी टीम उन्हें जन्मदिन का हार्दिक बधाई प्रेषित करता है। राजस्थान विश्वविद्यालय से बीए एवं एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कृषि व वकालत को ही अपना कैरियर बनाया लेकिन 1981 में आवां ग्राम पंचायत, देवली से सरपंच का चुनाव लड़कर उन्होंने पहली बार राजनीति में कदम रखा। इसके बाद 1987 में देवली, टोंक पंचायत समिति के उप प्रधान और 1995 से 2000 तक प्रधान चुने गए। इसके बाद उन्होंने प्रत्यक्ष तौर पर राजनीति की तरफ रुख किया और उनके राजनीतिक कैरियर ने अपनी गति पकड़ ली। 2002 में उन्हें भाजपा का राजस्थान पंचायती प्रकोष्ठ का महामंत्री बनाया गया।
प्रभुलाल सैनी को दो बार केन्द्र सरकार की ओर से कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट उत्पादकता के लिए कृषि कृमण पुरस्कार दिया जा चुका है।
2003 में राजस्थान विधानसभा चुनावों में उन्हें भाजपा की तरफ से देवली विधानसभा क्षेत्र से बतौर प्रत्याशी चुना गया। यहां उन्होंने दिग्विजय सिंह को करारी शिकस्त देकर जीत दर्ज की। इसी के साथ उन्होंने 12वीं विधानसभा में पहली बार राजस्थान की महिला मुख्यमंत्री बनी वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में मंत्रिमंडल में शपथ ली। अपने पहली ही कार्यकाल में जमीन से व कृषि से जुड़े होने के कारण उन्हें राज्य मंत्री, कृषि विभाग का प्रभार सौंपा गया। बाद में उन्हें पशुपालन, कृषि विपणन, मत्स्य तथा डेयरी विभाग और सहकारिता विभाग का प्रभार भी दिया गया। अपने सभी दायित्वों को जिम्मेदारी से निभाते हुए उन्होंने अपनी राजनीतिक मजबूती दिखाई।
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इतना ही नहीं, सैनी को अपने कार्यकाल में दो बार केन्द्र सरकार की ओर से कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट उत्पादकता के लिए कृषि कृमण पुरस्कार दिया जा चुका है। हाल ही में इन्होंने राज्यपाल कल्याण सिंह से स्वामी केशवानंद कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर से कृषि में वाचसपति की मानद उपाधि हासिल की है।
प्रभुलाल सैनी राजनीति के साथ सामाजिक गतिविधियों सहित लेखन में भी रुचि रखते हैं। पुरातत्व सम्पदा संरक्षण एवं गरीबी उन्मूलक विषयक सेवाएं देने के साथ उनकी 2007-08 में ‘राजस्थान में जैतून एक प्रयास’ और ‘राजस्थान में खजूर खेती’ पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। धार्मिक पुस्तकों के अध्ययन के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देना इनके पसंदीदा कार्य हैं।
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