राजस्थान में अब फसलों को रोगमुक्त बनाने के लिए नैनो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किए जाने की तैयारी चल रही है। नैनो टेक्नोलॉजी पर आधारित एग्रोक्लीन फसल कवच और एग्रो चार्जर जैसी तकनीक से ऐसा किया जाना संभव होगा। इस तकनीक के उपयोग से कीटनाशकों और उवर्रकों पर पर होने वाले खर्चे में कमी आएगी, मृदा का स्वास्थ्य सही रहेगा और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता सुधरेगी। इस तकनीक का परीक्षण प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों में कराया जाएगा।
इस संबंध में प्रदेश के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने पंत कृषि भवन में नैनो टेक्नोलॉजी के प्रस्तुतीकरण की बैठक ली। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग द्वारा खरीफ सीजन में 159 लाख हेक्टेयर में बुवाई का लक्ष्य रखा गया है। विभाग द्वारा 8 लाख 58 हजार मैटिक टन उवर्रकों और 7 लाख 50 हजार क्विंटल बीज की व्यवस्था कर ली गई है। पर्याप्त मात्रा में खाद और बीज की व्यवस्था सुनिश्चित कर ली गई है और प्रदेश में कहीं भी आदान उपलब्धता की कमी नहीं रहेगी।
नैनो टेक्नोलॉजी पर आधारित एग्रोक्लीन फसल कवच और एग्रो चार्जर जैसी तकनीक से फसलों को रोगमुक्त करने का प्रयास किया जाएगा। – कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी
आगे उन्होंने कहा कि इस सीजन में बाजरा 40 लाख हेक्टेयर, मक्का, 10 लाख हेक्टेयर, ज्वार 5 लाख 50 हजार हेक्टेयर, सोयाबीन 10 लाख हेक्टेयर, तिल 4 लाख 50 हजार हेक्टेयर, मूंग 15 लाख हेक्टेयर, मोठ 12 लाख हेक्टेयर, उड़द 3 लाख 50 हजार हेक्टेयर और कपास का 4 लाख 50 हेक्टेयर में बुवाई का लक्ष्य रखा गया है।
कृषि विभागीय समन्वय समिति की कार्यकारिणी को दिलाई शपथ
कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने पंत कृषि भवन में आयोजित एक समारोह में कृषि विभागीय समन्वय समिति की कार्यकारिणी को शपथ भी दिलवाई। उन्होंने कहा कि कर्मचारी सरकार और जनता के बीच सेतु की तरह काम करें। उन्होंने सरकार के किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प को पूरा करने के लिए कर्मचारियों से पूर्ण से मनोयोग कार्य करने का आह्वान किया। इस अवसर कृषि विभाग के आयुक्त श्री विकास सीतारामजी भाले, उद्यान विभाग के निदेशक वीपी सिंह सहित वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।
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