23 मई को लोकसभा चुनावों के नतीजे आये। और क्या नतीजे आये। बीजेपी खुद के दम पर केंद्र में सरकार बना रही है। एनडीए को 2014 से भी बड़ा बहुमत मिल रहा है। इसके साथ ही ये खुसर-फुसर भी शुरू हो गई। कि उन राज्यों का क्या होगा जहां बहुत कम बहुमत से कांग्रेस की सरकार चल रही है। ऐसे दो राज्य हैं। जहां लोकसभा चुनाव के नतीजे का असर राज्य सरकार प्रत्यक्ष रूप से पड़ सकता है। लेकिन जिस प्रकार भाजपा ने राजस्थान में कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ किया है। यहां भी इस बात को नकारा नहीं जा सकता। कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार कभी भी गिर सकती है। और भाजपा सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है। जानते हैं क्या है इन राज्यों का सियासी गणित? और क्यों ये चर्चा है कि यहां की राज्य सरकारें गिर सकती हैं?
सबसे पहले मध्य प्रदेश गिर सकती है कांग्रेस सरकार
11 दिसंबर 2018 को मध्य प्रदेश विधानसभा के नतीजे आए थे। राज्य की 230 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस को 114 सीटें मिलीं। वह बहुमत के आंकड़े से दो सीट कम। दूसरी ओर भाजपा को 109 सीटें मिली थीं। बीएसपी के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों ने सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को समर्थन दिया। कांग्रेस ने 121 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई थी। हालांकि बीजेपी ने उसी समय सरकार बनाने की कोशिश की थी। लेकिन वह कामयाब नहीं रही थी। हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, ”कमलनाथ सरकार की उम्र अब ज़्यादा लंबी नहीं बची है। यह सरकार 22 दिन भी नहीं चल पाएगी। केंद्रीय मंत्री और प्रदेश बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर कह चुके हैं… कि कई कांग्रेसी विधायक उनके संपर्क में हैं। वो जब चाहें तब सरकार गिरा देंगे।
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग कर चुके हैं। उनका कहना है कि सरकार अल्पमत में चल रही है। मुख्यमंत्री कमलनाथ कह चुके हैं कि बीजेपी उनके विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रही है। विधायकों को 25 करोड़ रुपए तक का ऑफर दिया जा रहा है। कांग्रेस के 10 विधायकों ने सीएम को बताया कि उनके पास बीजेपी की ओर से इस तरह के कॉल आ रहे हैं। कमलनाथ का कहना है कि विधायकों को मंत्री पद का लालच देकर भी तोड़ने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस मध्य प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में लौटी है। अब लोकसभा चुनाव में बीजेपी की शानदार जीत के बाद खतरा मंडराने लगा है। बीजेपी मध्य प्रदेश की सरकार गिरा देगी। मध्य प्रदेश में बीजेपी ने 29 में से 28 लोकसभा सीटों पर शानदार जीत दर्ज़ की है।
फिर कर्नाटक में बन सकता है कांग्रेस का नाटक
कर्नाटक में जब से कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी है। तब से ही उसे गिराने को लेकर तरह-तरह की बातें होती रहती हैं। अब लोकसभा चुनाव में बीजेपी राज्य की 28 में से 25 सीटों पर जीत चुकी है। तो एक बार फिर कर्नाटक सरकार की अस्थिरता को लेकर सवाल उठने लगे हैं। 225 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी उप चुनाव जीत कर 105 तक पहुंच गई है। 2 निर्दलीय विधायक उसके साथ हैं। यानी बीजेपी के पास 107 सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए 113 सीटों की जरूरत है। कांग्रेस के पास 79 सीटें हैं। गठंबधन सरकार में सहयोगी जेडीएस के पास 38 सीटें है यानी कुल 117 का आंकड़ा। चर्चा है कि कांग्रेस के आधे दर्जन विधायक कभी भी पूर्व सीएम और बीजेपी के नेता येदयुरप्पा के साथ हो सकते हैं।
हालांकि ऐसा होने पर भी बीजेपी के लिए सरकार बनाना मुश्किल होगा। विधानसभा में सदस्य कम होंगे तो बहुमत का आंकड़ा भी नीचे आएगा। ऐसे में दो विकल्प हैं। राजनीतिक अस्थिरता की वजह से यहां राष्ट्रपति शासन लगे। या बीजेपी कांग्रेस या जेडीएस के 14 कांग्रेस विधायकों का इस्तीफा दिलवा दे। ऑपरेशन लोटस के तहत बीजेपी यहां सरकार बना सकती है। बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा कह चुके हैं कि लोकसभा रिजल्ट के बाद कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिर जाएगी। एचडी कुमारस्वामी 24 मई की सुबह तक ही मुख्यमंत्री रहेंगे। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि बीजेपी, कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को अस्थिर कर सकती है।
राजस्थान में कांग्रेस सरकार की क्या स्थिति है?
वैसे तो राजस्थान में भी कांग्रेस सरकार ने विधानसभा चुनावों में को बड़ा तीर नहीं मारा। कांग्रेस तो मुख्य चुनाव में स्पष्ट बहुमत तक नहीं ला पायी। 200 विधानसभा सीटों वाले राजस्थान में। 199 सीटों पर चुनाव हुआ। जिनमे से कांग्रेस को 99 सीटें ही मिली। यानि बहुमत से 2 सीट कम। ऐसे में बसपा ने अपनी सभी 6 सीटों के साथ कांग्रेस को समर्थन दे सरकार बनाने का मौका दिया। और कांग्रेस ने राज्य में अपनी सरकार बनाने का दावा पेश किया। लेकिन उस वक़्त भी राजस्थान कांग्रेस में सरकार बनाने को लेकर खूब रायता फ़ैलाया था। पहले बहुमत को लेकर कांग्रेस नेता इधर-उधर घूमते रहे। फ़िर मुख्यमंत्री पद के लिए जयपुर से दिल्ली और दिल्ली से जयपुर। चक्कर पे चक्कर काटे गए। बड़ी मुश्किल से सचिन पायलट को समझा-बुझा कर अशोक गहलोत को सूबे का मुख्यमंत्री और सचिन पायलट को उपमुख़्यमंत्री पद दिया गया।
लेकिन फिर भी इनका ड्रामा रुका नहीं
लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस का ड्रामा ख़त्म नहीं हुआ। जब बात मंत्रिमंडल की आयी तो कांग्रेस के सभी विधायक अपनी-अपनी दावेदारी पेश करने लगे। फिर जैसे तैसे करके कांग्रेस ने अपना मंत्रीमंडल बनाया। अब जिस प्रकार से लोकसभा चुनावों का परिणाम आया है। अब कांग्रेस की सरकार चलाने की बसकी नहीं लग रही है। एक तो राज्य में अब कांग्रेस की कोई इज्ज़त नहीं रह गयी है। ऊपर से जिस तरह से भाजपा की एक तरफा जीत हुई है। कांग्रेस का मनोबल बुरी तरह से घायल हो चूका है। ऐसे में कुछ कांग्रेसी नेताओं का जी मिचला रहा होगा। सोच रहे होंगे को कोई तो एक बार कहे। और हम बीजेपी में शामिल हो जायें। ऐसे में ये देखना दिलचस्प रहेगा कि सबसे पहले, पहल कौन करता है। क्या भाजपा पहले कांग्रेस विधायकों से संपर्क करेगी। या फिर पहले कांग्रेसी विधायक कांग्रेस से इस्तीफ़ा देकर भाजपा को समर्थन देंगे।
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