पांच दिन से शहीद स्मारक पर धरने पर बैठी पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं के साथ पुलिस ने बदसलूकी की। वीरांगनाओं को सड़क पर घसीटा, जिससे वे बेहोश हो गईं। एक वीरांगना की तबीयत बिगड़ने की वजह से उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

दरअसल, सरकार के रवैए से आहत होकर राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा के साथ पुलवामा शहीदों की तीन वीरांगनाएं राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने पहुंचीं। वीरांगनाओं ने ज्ञापन देकर इच्छा मृत्यु मांगी।ज्ञापन देने के बाद वीरांगनाएं सीएम हाउस जाकर मुख्यमंत्री से मिलना चाहती थीं। पुलिस ने तीनों को आगे नहीं बढ़ने दिया, बाद में घसीटकर कार में बैठा लिया। इस दौरान छिना झपटी में शहीद रोहिताश लांबा की वीरांगना मंजू की तबीयत बिगड़ गई। वीरांगना की तबीयत बिगड़ने के बाद एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पुलिस के दुर्व्यवहार का वीरांगनाओं ने कड़ा विरोध किया है। पुलिस की हाथापाई में घायल मंजू ने रोते हुए कहा कि हम मुख्यमंत्री से मिलना चाहते थे और अपना पक्ष रखना चाहते थे। पुलिस ने हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया। हमारी मांगें मानने के बजाय हमारे साथ अभद्र व्यवहार किया जा रहा है। जब वह मुख्यमंत्री से मिलने जाते हैं तो पुलिस उन्हें पीटती है। अगर सरकार को हमसे इतनी ही दिक्कत है तो पुलिस हमारे सीने पर गोली मार दे।

राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने पुलिस द्वारा वीरांगनाओं को घसीटने पर सरकार पर निशाना साधा है। डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने कहा कि वीरांगनाओं की जायज मांगों को पूरा करने के बजाय सरकार तानाशाही कर रही है. विधानसभा गेट पर धरना देने के दौरान भी पुलिस ने वीरांगनाओं के साथ बदसलूकी की। आज मारपीट भी की।

किरोड़ी बोले- क्या मुख्यमंत्री से मिलना गुनाह है, जो पुलिस ने शहीदों की वीरांगनाओं के साथ मारपीट की, उन्हें घसीट कर कार में डाल दिया। अगर मुख्यमंत्री मुझसे नहीं मिलना चाहते तो एक बार वीरांगनाओं से मिल लें। वे तो खुद को गांधीवादी कहते हैं।