शहीद जीतराम की वीरांगना पुलिस के पहरे में रहने को मजबूर है। वीरांगना सुंदरी के आसपास 40 वर्दीधारी जवान और सादे कपड़ों में दो पुलिस अधिकारी पहरा दे रहे हैं। डॉक्टर की टीम, एंबुलेंस और पुलिस की वज्र गाड़ी भी घर के बाहर तैनात है। वीरांगना सुंदरी का कहना है कि वह कॉलेज का नाम शहीद जीतराम के नाम पर करने और देवर की नौकरी को लेकर जयपुर में धरना दे रही थी। चार साल पहले मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने दिया था आश्वासन सुंदरी देवी भी पुलवामा शहीदों की अन्य वीरांगनाओं के साथ 11 दिनों तक धरने पर बैठी रहीं।
जयपुर से पुलिस चुपचाप वीरांगना सुंदरी को भरतपुर ले आई और शहर के अस्पताल में भर्ती कराया और बाहर पुलिस बल तैनात कर दिया। सुंदरी से किसी को मिलने नहीं दिया गया। भरतपुर सांसद रंजीता कोली व भाजपा कार्यकर्ताओं के विरोध पर पुलिस ने वीरांगना सुंदरी देवी को उनके गांव सुंदरावली स्थित उनके घर भेज दिया। पुलिस के पहरे से परेशान हैं वीरांगना सुंदरी देवी। उन्होंने कहा कि जयपुर में भी पुलिस थी और अब घर में भी पुलिस तैनात है।
उन्होंने कहा कि हम मुख्यमंत्री को एक लाख देते हैं। क्या हमारे आदमी को जिंदा वापस लाया जा सकता है? मुख्यमंत्री हमें प्रताड़ित कर रहे हैं। हम 4 साल से सरकार से आश्वासन पूरा करने की गुहार लगा रहे हैं लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। वीरांगना के मुद्दे पर मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार की नीति के तहत पूरा पैकेज दिया है।
शहीद के बच्चों, परिवार या रिश्तेदारों को नौकरी देने का फैसला केंद्र सरकार को करना है। आपको बता दें कि भरतपुर जिले के सुंदरावली कस्बा थाना क्षेत्र के रहने वाले जीतराम गुर्जर पुलवामा हमले में शहीद हो गए थे।