“जीवन में कसौटी होना आवश्यक है, क्योंकि कसौटी हमें कसती है, और इससे हमें ऊर्जा प्राप्त होती है अगर हम अपने आपको कसौटी के तराजू में झुकायेंगे नहीं तो ठहराव आ जायेगा और ठहराव जिंदगी नहीं हो सकती क्योंकि जिंदगी का मतलम है गति, सपने और मेहनत। ” कुछ ऐसी ही बातों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छात्रों और अभिभावकों को परीक्षा के तनाव से मुक्त होने का मंत्र दिया।
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 8 देशों से आये 2,000 छात्रों से ” परीक्षा पे चर्चा ” करी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस बार” परीक्षा पे चर्चा 2.0 ” कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें छात्रों के अलावा कुछ अभिवावकों और शिक्षकों को भी शामिल होना का मौका मिला। आयोजन की शुरुआत सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुई,जिसके बाद पीएम मोदी ने देश के पूर्व रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नाडिस को श्रद्धांजलि दी और फिर छात्रों से संवाद शुरू किया।
पीएम मोदी ने छात्रों से कहा कि इस बार कुछ बदलाव हुआ है, इस बार विदेशों से भी छात्रों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया है, आप सभी मेरा परिवार हो। आप ऐसे समझिये आप परिवार के साथ बैठे है, परिवार का एक सदस्य आप से बात कर रहा है। मेरा उद्देश्य स्टूडेंट्स, पेरेंट्स, टीचर्स को उपदेश देना नहीं है, उनको परीक्षा का महत्व बताना है अगर हम ये सोचेंगे की ये जिंदगी की परीक्षा नहीं है तो हमारा भार कम हो जायेगा। इस परीक्षा के बाहर भी जिंदगी है। परीक्षा को एक अवसर मानों और इसका आनंद उठाओ।
ऑनलाइन गेम PUBG का भी हुआ ज़िक्र
चर्चा के दौरान एक महिला अभिभावक ने पीएम मोदी को बताया कि पहले उसका बेटा पढ़ाई में अच्छा था, ऑनलाइन गेम्स की वजह से वो पढ़ाई में कमज़ोर हो गया। जवाब में मोदी जी ने तुरंत बोला ” ये PUBG वाला है क्या ? ” पीएम के इस जवाब से पूरे स्टेडियम में तालिया और ठहाके गूंज उठे। पीएम मोदी ने कहा कि टेक्नोलॉजी समस्या भी है और समाधान भी, उसका क्या इस्तेमाल हो रहा है ये देखना आवशयक है। माँ- बाप को इसमें रूचि लेते हुए देखना चाहिए कि टेक्नोलॉजी बच्चे को रोबोट तो नहीं बना रही, टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बच्चे के विस्तार में भी हो सकता है उन्हें इससे दूर ना करें। उन्होंने यह भी कहा कि प्लेस्टेशन अच्छा है पर बच्चों को प्लेग्राउण्ड कभी नहीं भूलना चाहिए।
अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने अभिभावकों से विनती करी कि आप दिन में एक बार सोच ले कि जब आप बच्चे थे, तब आपके मन में क्या सवाल उठते थे और आप क्या सोचते थे, अगर आप एक बार ये सोच लेंगे तो आपके बच्चे का तनाव कभी नहीं बढ़ेगा और आपका अनुभव ही आपको बहुत कुछ सीखा देगा।
उल्लेखनीय है कि यह कार्यक्रम पिछले साल हुए ” परीक्षा पे चर्चा ” का दूसरा आयोजन है। जहाँ पिछली बार सिर्फ दिल्ली- एनसीएआर के छात्रों ने ही हिस्सा लिया था वहीं इस बार विदेशों से भी छात्रों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण देश के सभी सरकारी स्कूलों और शैक्षणिक संस्थाओं में दिखाने की भी व्यवस्था कराई गयी थी ताकि पूरे देश के छात्रों को इसका लाभ मिल सके।
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