जयपुर। राजस्थान की राजधानी पिंकसिटी जयपुर के परकोटे को वर्ल्ड हेरिटेज का खिताब मिलने के 6 महीने बाद 5 फरवरी को इसका प्रमाण—पत्र मिल गया। 6 जुलाई को यूनेस्कोकी विश्व विरासत सूची में जगह बनाई थी। शहर के चारदीवारी यानी ओल्ड सिटी को यूनेस्को ने विश्व धरोहर का बुधवार को इसका प्रमाण पत्र दिया गया। अल्बर्ट हाॅल पर आयाेजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में यूनेस्काे की डीजी ऑड्रे अजाेले ने पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह, यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और कला व संस्कृति मंत्री बीडी कल्ला काे सर्टिफिकेट साैंपा।
जयपुर की विरासत और कला विश्वभर में विख्यात
ऑड्रे अजाेले ने कहा कि जयपुर शहर काे जिस तरह संजाेकर रखा गया है, वह अद्भुत है। शहर की विरासत और कला विश्वभर में विख्यात है। इससे पहले जयपुर शहर के पर्यटक स्थलाें और वाॅल सिटी में स्थित बाजार व मुख्य द्वाराें की एक लघु फिल्म भी दिखाई गई। यूनेस्को डीजी ने हवा महल के बाहर लगाई गई विश्व विरासत स्थल पट्टिका का अनावरण भी किया। मुख्यमंत्री गहलोत ने ट्वीट कर इस खिताब को जयपुर और प्रदेश की जनता को समर्पित किया।
आमेर फोर्ट और जंतर-मंतर पहले से
जयपुर शहर के विश्व विरासत सूची में शामिल होने से पहले राजधानी के आमेर किला और राजा सवाई जयसिंह द्वारा निर्मित जयपुर की वेधशाला जंतर-मंतर को विश्व विरासत घोषित किया जा चुका था। बता दें कि जयपुर की वेधशाला यानी जंतर-मंतर के अतिरिक्त जय सिंह ने देश में चार अन्य वेधशालाएं (दिल्ली, वाराणसी, उज्जैन एवं मथुरा) में स्थापित की थी लेकिन अपनी सटीक गणना और रख-रखाव के चलते जयपुर की वेधशाल को इस सूची में शामिल किया गया।
जयपुर इसलिए है खास
साल 2018 में जयपुर निरीक्षण को पहुंची यूनेस्को की अंतरराष्ट्रीय परिषद की टीम कई पैमानों में यहां का आकलन किया। 1727 में राजा जयसिंह के बसाए इस ऐतिहासिक शहर में प्राचीन हिन्दू, मुगल और समकालीन पश्चिमी शैली के स्थापत्य की झलक मिलती है। आज भी यह शहर अपनी स्थापत्य कला के चलते दुनियाभर के पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। बता दें कि अब तक विश्व धरोहर सूची में 167 देशों के 1092 स्थानों को शामिल किया जा चुका है।