जयपुर। राजस्थान के 21 जिलों में करवाए गए जिला परिषद तथा पंचायत समिति के चुनाव के लिए मतगणना जारी है। मतगणना में 21 जिलों में 636 जिला परिषद सदस्य में से 635 के परिणाम सामने आ चुके हैं। इन जिलों की 222 पंचायत समितियों के 4371 पंचायत समिति सदस्यों में से 4193 का फैसला हो चुका है। दोनों ही जगह भाजपा को बढ़त मिली है। पंचायत चुनावों के नतीजों ने भाजपा में उत्साह भर दिया है वहीं कांग्रेस के लिए इन नतीजों ने खतरे की घंटी बजा दी है। अगले साल प्रदेश में तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इनमें सहाड़ा,राजसमंद और सुजानगढ़ सीट शामिल है।

इन 21 जिलों में हुए चुनाव
अजमेर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, भीलवाड़ा, बीकानेर, बूंदी, चित्तौडगढ, चूरू, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जालौर, झालावाड़, झुंझुनूं, नागौर, पाली, प्रतापगढ़, राजसमंद, सीकर, टोंक और उदयपुर में चार चरणों में मतदान हुए है। पहला चरण: 23 नवंबर 2020, दूसरा चरण: 29 नवंबर 2020, तीसरा चरण: 01 दिसंबर 2020 और चौथा चरण: 05 दिसंबर 2020 है।

अगले साल होने हैं उपचुनाव
सहाड़ा सीट कांग्रेस के कैलाश त्रिवेदी के निधन के बाद खाली हुई है। वहीं राजसमंद सीट भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी तथा सुजानगढ़ सीट कांग्रेस के कैबिनेट मंत्री रहे मास्टर भंवरलाल मेघवाल के निधन के बाद खाली हुई है। सहाड़ा विधानसभा के अंतर्गत सहाड़ा पंचायत समिति के 15 वार्डों पर चुनाव हुए। इनमें से 10 वार्ड भाजपा के खाते में गए हैं। जबकि कांग्रेस को सिर्फ 5 वार्डों में ही जीत मिली है। वहीं जिस भीलवाड़ा जिले में सहाड़ा विधानसभा आती है उसमें हुए जिला परिषद के चुनावों में भी भाजपा को एक तरफा जीत मिली है।

भाजपा की एक तरफा जीत
वहीं जिस भीलवाड़ा जिले में सहाड़ा विधानसभा आती है उसमें हुए जिला परिषद के चुनावों में भी भाजपा को एक तरफा जीत मिली है। राजसमंद जिला परिषद में भी कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। यहां 25 वार्डों में से 17 पर भाजपा ने अपना कब्जा जमा लिया है। जबकि कांग्रेस को सिर्फ 8 सीटों से ही संतोष करना पड़ा है।

कांग्रेस का सूपड़ा साफ
सुजानगढ़ पंचायत समिति के नतीजे देर रात तक घोषित नहीं हुए लेकिन जिस चुरू जिले में यह पंचायत समिति आती है उसमें जिला परिषद के चुनाव भाजपा के पक्ष में ही गए हैं। यहां 27 वार्डों में से 20 पर भाजपा जीती है। जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 7 वार्ड ही हैं। 21 जिलों में पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्य चुनावों के नतीजे सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिया अच्छे नहीं रहे हैं। इन नतीजों ने पिछले दस सालों से चल रहे मिथक को तोड़ दिया।