राजस्थान में इन दिनों अलग ही प्रकार की हलचल मची हुई हैं। हाल ही में फिल्म जगत के सबसे विवादित और मशहूर निर्देशक संजय लीला भंसाली के साथ हुए ड्रामें के बाद अजय देवगन की फिल्म बादशाहो की शूटिंग भी अटक गई हैं। राजस्थान के लोग ही राजस्थान की छवि को धूमिल करते हुए नजर आ रहे हैं अगर हम ऐसा माने तो इस बात से केई गुरेज नही होगा। संजय लीला भंसाली के साथ हुए नाटक को तो पूरी दुनिया ने समझ लिया हैं।
प्रदेश की छवि का पहुंचाया जा रहा हैं नुकसान
दरअसल कुछ लोग ही ऐसे हैं जो प्रदेश की छवि को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से काम कर रहे हैं। भंसाली से मारपीट का मामला जैसे-तैसे शांत हुआ था कि राजधानी के राजपरिवार ने नया बखेड़ा शुरू कर दिया हैं। राजघराने ने अपनी गलतियों को छूपाने के लिए राजपूत समाज का सहारा लिया हैं। और इस काम में साथ दिया हैं राजपूत समाज के संगठन करणी सेना ने।
यह राजनीति राजघरानों के लिए नुकसानदायक
अब राजस्थान की राजनीति सिर्फ राजनेताओं की ही नही बल्कि राजघरानों का भी शोक बन गया हैं और इसका ताजा उदाहरण हमें भंसाली मामला दिखाई देता हैं जो कि इसी राजनीति का नतीजा हैं। राजघराने अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई को लड़ने के लिए राजनीति को सहारा बना रहे हैं लेकिन यह राजनीति राजघरानों को नुकसान भी पहुंचा सकती हैं।
भंसाली मामले ने राजपरिवार की ओर से आ रहे हैं बयान दर बयान
भंसाली के विवाद के बाद राजपरिवार की ओर से बयान दर बयान निकल रहे हैं जैसे शाही परिवार अपनी गलतियों को छूपाना चाह रहा हो। मतलब साफ हैं कि भंसाली से सिटी पैलेस में शूटिंग के लिए जिस राजपरिवार ने दो लाख रुपए वसूले हो वो अब पीछे से बयान बाजी कर रहा हैं वो भी राजपूतों के सबसे बड़ें संगठन करणी सेना के कंधे पर बंदूक रखकर।
इस नुकसान का जिम्मेदार आखिर कौन
राजस्थानी बैकग्राउंड की फिल्म पद्मावती के निर्देशक संजय लीला भंसाली को लगी थप्पड़ की गूंज अभी शांत भी नही हुई की राजघराना करणी सेना के साथ मिलकर एक नया बखेड़ा खड़ा करने में लगा हैं। राजस्थान में फिल्म जगत में अपनी अलग पहचान बनाई हैं इस बखेड़े से सालों पूरानी राजस्थान की राजशाही छवी को नुकसान पहुंच रहा हैं जिसका जिम्मेदार भी शाही परिवार ही हैं।
राजपूतों की हुई तौहीन
निर्देशक संजय भंसाली की फिल्म से राजपूतों की शान में तौहीन हुई हैं तो इसकी सजा तो उसकों भुगतनी ही थी लेकिन वास्तविक दोष किसका था फिलहाल इस बात को स्पष्ट करना थोडा मुश्किल हैं क्योंकि शाही परिवार ने पूरी वसूली कर फिल्म की शूटिंग की थी लेकिन अब उसी फिल्म का विरोध शाही परिवार करणी सेना के साथ मिलकर कर रहा हैं तो वाकई में दोष किसका हैं यह कह पानी मुश्किल हैं।
ये मुजरा कौन देख रहा हैं?
पूरे मामले में एक बात साफ तौर पर कही जा सकती हैं कि शाही परिवारों को मुजरा देखने का शौक था जो पहले भी पूरा होता था और आज भी पूरा हो रहा हैं क्योंकि करणी सेना के लोग उन्ही के इशारों पर नृत्य नाटिका सजाएं बैठे हैं।