बीकानेर। भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र में आज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली से डॉ. भूपेन्द्र नाथ त्रिपाठी, उप महानिदेशक (पशु विज्ञान) ने भाग लिया। इस अवसर पर केन्द्र में एक वैज्ञानिक वार्ता आयोजित की गई जिसमें एनआरसीसी सहित परिषद के बीकानेर स्थित पशु संबद्ध संस्थानों यथा-केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान एवं राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने शिरकत कीं।
वार्ता को संबोधित करते हुए डॉ.भूपेन्द्र नाथ त्रिपाठी ने कहा कि परिषद के माध्यम से देश के किसानों एवं पशुपालकों तक बेहतरीन प्रौद्योगिकी पहुंचाने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा वन साइंटिस्ट वन प्रोडेक्ट का लक्ष्य निर्धारत कर अनुंसंधान के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया जाए ताकि किसान खुशहाल व देश समृद्ध बनें। उन्होंने पशुधन आदि क्षेत्र में वैश्विक प्रभाविता, वैज्ञानिकों को अपने शोध कार्यों को जर्नल्स् आदि के माध्यम से सभी के सामने उजागर करने पर जोर दिया। डॉ. त्रिपाठी ने ऊँट को एक अनूठी प्रजाति बताते हुए ऊँटनी के दूध व अन्य स्वरूपों में मानव स्वास्थ्य में इसकी उपादेयता, परिवर्तित वातावरण में इसकी अनुकूलनता, ऊँटों की घटती संख्या एवं व्यवसाय संबंधी चुनौतियाँ, उष्ट्र विकास एवं संरक्षण हेतु लक्ष्यबद्ध तरीके से कार्य करने हेतु वैज्ञानिकों को निर्देशित किया।
वार्ता के दौरान डॉ. त्रिपाठी को एनआरसीसी द्वारा प्राप्त दो ट्रेड मार्क व आईएसओ प्रमाण-पत्र का विमोचन किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान एक एमओयू पर भी हस्ताक्षर किए गए। नामफार्मर्स के साथ केन्द्र के हुए इस एमओयू के जरिए संस्थान की उपलब्धियों को किसानों तक पहुंचाने के लिए एक वर्चुअल प्लेटफार्म तैयार किया जाएगा। डॉ. त्रिपाठी द्वारा केन्द्र के नव निर्मित मुख्य प्रवेश द्वार का उद्घाटन भी किया गया, साथ ही पौधारोपण कार्यक्रम में भी भाग लिया।
इस अवसर पर केन्द्र निदेशक डॉ.आर्तबन्धु साहू ने संस्थान की विभिन्न अनुसंधान एवं प्रसार गतिविधियों संबंधी जानकारी देते हुए कहा कि संस्थान के वैज्ञानिक, ऊँट को बहुआयामी पशु के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं ताकि ऊँट पालकों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ की जा सके।
वैज्ञानिक वार्ता में केन्द्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र एवं केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. एस.सी. मेहता एवं डॉ.निर्मला सैनी ने अपने संस्थान के कार्यों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दीं। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राकेश रंजन, प्रधान वैज्ञानिक ने किया एवं धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. सुमंत व्यास, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा ज्ञापित किया गया।