एक व्यक्ति एक पद
एक व्यक्ति एक पद की बात करने वाली कांग्रेस ने एक मुख्यमंत्री पद के लिए राजस्थान को दो मुख्यमंत्रियों की सौगात दी हुई है।

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस में एक व्यक्ति एक पद का मामला एक बार फिर गरमा गया है। श्रम मंत्री टीकाराम जूली ने अलवर कांग्रेस जिला अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देकर इस मामले को और हवा दे दी। इसके बाद कांग्रेस के उन नेताओं पर भी जिला अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया है जो वर्तमान में विधायक या मंत्री हैं। सांसद तो कांग्रेस पास बचे नहीं। लेकिन ऐसे एक सवाल और भी उठता है। यही कि अगर कांग्रेस एक व्यक्ति एक पद की परम्परा चलाना चाहती है तो फिर उसे इस नियमावली में कुछ और भी सुधार करना होगा। अर्थात कांग्रेस ये तो चाहती है की एक व्यक्ति के पास एक ही पद हो। लेकिन दो व्यक्तियों के पास एक ही पद वाली स्थिति के लिए कांग्रेस के पास फ़िलहाल तो कोई तर्क नहीं है।

गौरतलब है कि कांग्रेस चाहती है की संगठन में एक व्यक्ति के पास एक ही पद रहे। परन्तु राजस्थान के सबसे बड़े मुख्यमंत्री पद पर तो दो लोग अशोक गहलोत और सचिन पायलट बैठे हुए हैं। उनका क्या होगा रे बाबा?

कांग्रेस एक व्यक्ति एक पद की परम्परा शुरू कर रही है

कांग्रेस में एक बार फिर एक व्यक्ति एक पद सिद्धांत अपनाने की मांग उठ गई है। दरअसल मंत्री टीकाराम जूली ने अलवर जिला अध्यक्ष पद से अचानक इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि सभी की सहमति से इस्तीफा देने का निर्णय लिया है। मैंने पार्टी में कार्यकर्ताओं को तवज्जो देने के लिए यह फैसला किया। मंत्री पद के चलते अलवर के संगठन को जूली पर्याप्त समय नहीं दे पा रहे थे। टीकाराम जुली ने एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत अपनाते हुए एक पद छोड़ दिया। लेकिन उनके इस फैंसले ने दूसरे अन्य कांग्रेसी नेताओं को धर्म संकट में दाल दिया है। क्योंकि कांग्रेस में जब ऐसे-ऐसे नेता हैं। जिनके पद मोह और कुर्सी से प्रेम के चलते राजस्थान को एक साथ दो मुख्यमंत्रियों का सौभाग्य प्राप्त। आइए सबसे पहले आपको बताते है कि किस तरह संगठन में विधायकों और मंत्रियों का कब्जा है।

पीसीसी पर भारी है मंत्री और विधायक

13 मंत्री अभी भी बने हुये पीसीसी के पदाधिकारी

मंत्री

विश्वेन्द्र सिंह – पीसीसी वरिष्ठ उपाध्यक्ष, गहलोत सरकार में पर्यटन मंत्री

मास्टर भंवर लाल मेघवाल – पीसीसी वरिष्ठ उपाध्यक्ष, गहलोत सरकार में सामाजिक न्याय व आधिकारिता मंत्री

डॉ रघु शर्मा – पीसीसी के उपाध्यक्ष, गहलोत सरकार में चिकित्सा व स्वास्थ्य मंत्री

प्रमोद जैन भाया – पीसीसी के उपाध्यक्ष, गहलोत सरकार में खनिज मंत्री

उदय लाल आंजना – पीसीसी के उपाध्यक्ष, गहलोत सरकार में सहकारिता मंत्री

गोविन्द सिंह डोटासरा – पीसीसी के उपाध्यक्ष, गहलोत सरकार में शिक्षा मंत्री

भरोसी लाल जाटव – पीसीसी के महामंत्री, गहलोत सरकार में राज्य मंत्री

महेन्द्र चौधरी – पीसीसी के महासचिव, राज्य की विधासभा के उप मुख्य सचेतक

सुखराम विश्नोई – पीसीसी के कार्यकारिणी सदस्य, गहलोत सरकार में वन राज्य मंत्री

वो मंत्री जो जिला अध्यक्ष के साथ मंत्री पद पर सवार

प्रताप सिंह खाचरियावास – कांग्रेस में खाचरियावास इकलौते ऐसा नेता जो तीन तीन भूमिका में है। गहलोत सरकार में परिवहन मंत्री जयपुर शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पीसीसी के प्रवक्ता

21 विधायकों को एक व्यक्ति एक पद से ज्यादा संगठन का मोह

संगठनात्मक उपाध्यक्ष

महेन्द्रजीत सिंह मालवीय – पीसीसी के उपाध्यक्ष

खिलाड़ी लाल बैरवा – पीसीसी उपाध्यक्ष

जी आर खटाना – महासचिव पीसीसी

मुरारी लाल मीना – महासचिव पीसीसी

गंगा देवी वर्मा – महासचिव पीसीसी

इंद्राज गुर्जर – सचिव पीसीसी

जाहिदा – सचिव पीसीसी

अमीन कागजी – सचिव पीसीसी

दानिश अबरार – सचिव पीसीसी

रुपाराम मेघवाल – सचिव पीसीसी

चेतन डूडी – सचिव पीसीसी

प्रशांत बैरवा – सचिव पीसीसी

कृष्णा पूनिया – सचिव पीसीसी

कार्यकारिणी सदस्य पद पर विधायक

राजेन्द्र पारीक

डॉ जितेन्द्र सिंह

भरत सिंह

अमीन खान

परसराम मोरदिया

बृजेन्द्र सिंह ओला

मंजू मेघवाल

वर्तमान में कांग्रेस के अधिकतर जिलाअध्यक्ष मंत्री या विधायक

अब बात करते है कांग्रेस के 39 जिला अध्यक्षों की। यहां पर भी मंत्री और विधायकों का ही बोलबाला है। इनमें से कुछ पद खाली भी है जहां नये चेहरों की तलाश जारी है। गहलोत सरकार में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के पास मंत्री के साथ ही जयपुर शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान भी है। जयपुर देहात कांग्रेस के अध्यक्ष राजेन्द्र यादव के पास भी दो पद हैं। वो मंत्री पद पर भी आसीन है। बारां के विधायक पानाचंद मेघवाल,झुंझुनूं में डॉ जितेन्द्र सिंह और जोधपुर देहात में हीराराम मेघवाल, विधायक होने के साथ ही जिला अध्यक्षों के पदों पर भी काबिज है। दो ऐसे नेता भी हैं जिन्होंने संगठनात्मक जिला अध्यक्ष पद पर होने के साथ-साथ लोकसभा का चुनाव भी लड़ा। रामपाल शर्मा भीलवाड़ा के जिला अध्यक्ष है और चुनाव भी भीलवाड़ा लोकसभा सीट से लड़ा।

राजसमंद की डीसीसी के अध्यक्ष देवकीनंदन गुर्जर काका भी राजसमंद से चुनावी समर में उतरे।

पद छोड़ने के सवाल पर मंत्री जी क्या बोले

परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि मैं हमेशा इस्तीफ़ा देने के लिए तैयार रहता हूँ। लेकिन पार्टी के नेता जो तय करेंगे वह होगा। गहलोत, पायलट कहेंगे उसी वक्त जिलाध्यक्ष पद छोड़ दूंगा। संगठन में जिम्मेदारी तो पार्टी तय करती है। टीकाराम जूली का अपना फैसला है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अपना इस्तीफ़ा दे चुके हैं और कांग्रेस अब नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की तलाश में जुटी है। ऐसे में एआईसीसी में अब पूरा बदलाव होगा, लेकिन राजस्थान में सत्ता में काबिज़ लोग ही संगठन में भी लंबे समय से बैठे हैं। ऐसे में यहां पर कांग्रेस क्या फैसला लेती है इस पर सबकी नजरें टिकी हुई है। लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद कांग्रेस को अपने कई पुराने सिद्धांतों को बदलना या छोड़ना होगा। या नए सिद्धांत बनाने होंगे। इसलिए कांग्रेस एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत पर गहराई से विचार कर सकती है। वरना एक पद और दो मुख्यमंत्री के सिद्धांत के नतीजे तो प्रदेश आये दिन देख ही रहा है।

ये कोई भविष्यवाणी तो नहीं मगर सिर्फ़ एक कयास है कि घूम फिर के भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस का नया राष्ट्रिय अध्ययक्ष गांधी परिवार से ही हो सकता हैं। वो भी एक महिला! समझदार को इशारा काफ़ी है।

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