बीकानेर। राजस्थान राज्य अभिलेखागार व सी-डेक पुणे के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को ‘वर्तमान में ज्ञान मीडिया तथा अभिलेखागार, अभिलेखागारिय प्रथाएं’ विषय पर राष्ट्रीय सेमीनार वेटरनरी विश्वविद्यालय सभागार में आयोजित हुई।
सेमिनार का उद्घाटन कला, साहित्य और संस्कृति मंत्री डॉ बी.डी. कल्ला ने किया। शिक्षा मंत्री ने अभिलेखागार की रिकार्ड कीपिंग व्यवस्था एवं डिजिटल अभिलेखागार की सराहना की एवं कहा कि राज्य सरकार की ओर से अभिलेखागार की प्रगति के लिए पूर्ण सहयोग दिया जाएगा।
इस दौरान विभाग में उत्कृष्ट कार्य करने पर डॉ. दलीप कुमार वर्मा, हरि मोहन मीना, साजिद हुसैन, मुकेश खड़गावत, आनंद सिंह राजपुरोहित, गौरीशंकर सोलंकी, ऋषिराज थानवी, नारायण तिवाड़ी, अब्दुल हाकीम, हरीराम देवडा, श्रीमती धर्मो, मुरलीधर और गिरवरधारी पुरोहित को सम्मानित किया गया।
विभाग ने चार इतिहाकारों डॉ. गिरिजा शंकर शर्मा, पूर्व उपनिदेशक प्रो. आर.पी. बहुगुण्णा, जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली के डॉ. राकेश बटबयाल, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, इन्टेक की पूर्व समन्वयक डा स्वपना लिडल को इतिहास एवं अभिलेखों पर समर्पित कार्यों के लिए इतिहासकार पुरस्कार देकर सम्मानित किया। सम्मान प्रतीक चिह्नों के साथ ग्यारह-ग्यारह हजार के चैक विभाग के पूर्व कर्मचारी स्व. श्री बद्री नारायण थानवी के परिवार द्वारा दिए गए।
सेमिनार के प्रथम सत्र की अध्यक्षता प्रो. शिव कुमार भनोत ने की। प्रो जी.एस.एल. देवडा ने कहा कि ‘फोकटेल एवं सरकारी अभिलेख’ में अंतर होता है। यह समय के साथ बदलता है। इस संबंध में विषद चर्चा सूरजमान भारद्वाज, राजवान परानीउ रांमानिया तथा महालक्ष्मी रामाकृष्णन ने की। दूसरे एवं अंतिम सत्र में प्रो. शशि देवडा की अध्यक्षता में सांस्कृतिक इतिहास एवं अभिलेखागार के विकास पर तीन महत्वपूर्ण पर्चे पढ़े। वीरेन्द्र सिंह बिट्टू, स्नेहा रायचौधरी एवं
आर.पी.बहुगुणणा ने विशद भाव से धर्म, संस्कृति एवं अभिलेखागारिय प्रथाओं के बारे में बताया। प्रो. बहुगुणा ने अभिलेख और गैर-अभिलेख के मध्यकाल में विभेद के कारण बताए। प्रो महालक्ष्मी ने अंग्रेज काल में फोटोग्राफी के आने एवं उनके साम्राज्यवादी प्रयोग, विरेन्द्र सिंह बिट्टू ने महिषासुरमर्दिनी के ओशियान मंदिर के संदर्भ, स्नेहा राय चौधरी ने कर्नाटक के श्री कृष्ण पारिजात के मंचांकण के संदर्भ में अभिलेखों की बात की। ‘राज्य अभिलेखागार की हमारे इतिहास में महत्ता’ पर डॉ. सूरजमान भारद्वाज ने बात की। आगंतुकों ने अभिलेखागार एवं अभिलेख म्यूजियम का अवलोकन किया।