बीकानेर। देश-विदेश में ख्याति प्राप्त भरत नाट्यम नृत्यांगना पद्मश्री गीता चंद्रन ने बुधवार की शाम डॉ.करणी सिंह स्टेडियम में चल रहे, ‘राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में भरत नाट्यम की प्रस्तुति से जहां वंदे मातरम पर देश भक्ति का जज्बा जगाया, वहीं उन्होंने और उनकी टीम ने कृष्ण के प्रसंगों से भक्ति रस से दर्शकों को सराबोर कर दिया। मशहूर नृत्यांगना गीता चंद्रन एवं नाट्य वृक्षा डांस कंपनी, दिल्ली की ओर से पेश इस कार्यक्रम का आगाज ईश्वर, गुरु और मंच की आराधना के साथ ‘पुष्पांजलि’ से हुई।

गीता चंद्रन ने बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित राष्ट्र गीत वंदे मातरम्…  सुजलां, सुफलां, मलयजशीतलाम् … पर खुद एकल नृत्य की प्रस्तुति से जहां सभी दर्शकों में राष्ट्र भक्ति की लौ जगाई, वहीं मौजूद लोगों ने करतल ध्वनि से उनकी इस पेशकश को सराहा। इसके बाद शुरू हुआ भगवान श्रीकृष्ण के वृंदावन से जुड़े प्रसंगों का भरत नाट्यम के माध्यम से सुंदर और सजीव चित्रण। इसके अंतर्गत सखी स्वरम् में सखियों की क्रीडा पर मनोहारी नृत्य की प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया।

इसके साथ ही मरुधरा में प्रदर्शन के मद्देनजर गीता चंद्रन ने भक्त शिरोमणी मीराबाई की वृंदावन के बारे में कल्पना और सोच का बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति की गई। इसमें आली मन लागे वृंदावन जी को… भजन बिन नर फीको… पर नृत्य में भावभंगिमाओं ने मीरां की भावनाओं को खूबसूरती से दर्शाया। इस प्रस्तुति में वृंदावन की सुंदरता का वर्णन ऐसा लगा मानो वृंदावन यहीं मंच पर उतर आया हो। फिरए बांसुरी की धुन ने सबके हृदय तक झंकृत कर दिए। इसके साथ ही आवनी में कृष्ण की गायों को चराकर लौटने के वक्त गोपियां वृंदावन में गोपियों, यशोदा मैया आदि के भावों को अलंकृत किया गया। इस नृत्य में पुरंदर दास कृष्ण नी बेघने बारो… में यशोदा मैया का कान्हा को बुलाने और स्नेह जताने में वात्सल्य भाव को सुंदरता से प्रस्तुत किया गया। साथ ही, राधा का कन्हैया को रिझाना और एक भक्त का कृष्ण को पुकारने और दर्शन के लिए तरसने की भी मनमोहक ढंग से अभिव्यक्ति की गई।

भरत नाट्यम के दौरान मंच पर पर किसी प्रस्तुति पर दर्शकों के झूमने को मजबूर कर देने वाली प्रस्तुति अपवादस्वरूप ही देखी जा सकती है। यहां जब होली नृत्य में मीरां के भजन होली खेलत है गिरधारी, संग युवती ब्रज नारी… और तिल्लाना यानी तराना पर जब वृंदावन की फूलों की होली की प्रस्तुति दी गई तो तमाम दर्शक झूम उठे।

इस प्रस्तुति में गीता चंद्रन के साथ अंजना शेषाद्री मधुरा भृशुंडी कावेरी मेहता सौम्या नारायणनए आनंदिता नारायणन और यदावी शकधर मेनन शामिल रहीं। गायक के वेंकटेश्वरन रहे, नरवांगम पर वरुणराज शेखरन और मृदंगम पर मनोहर बालचंद्रन तथा वायलिन पर राधवेंद्र प्रसाद रहे।