जयपुर। 1952 के आम चुनाव से 16वीं लोकसभा के आम चुनाव तक का अध्ययन करने पर पता चलता है कि देश की राजनीति की स्थिति कभी भी देश हित में गंभीर नहीं रही। उस समय राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले दलों के नेताओं ने कभी देश हित नहीं देखा। 1-1 वोट से सरकार भी गिरी। तत्कालीन मध्यावधि चुनावों ने देश के आर्थिक विकास पर जरूर कुठाराघात किया होगा। जैसा कि मानव स्वभाव है, खुद का विकास, बाकी सब बकवास।
1971 में इंदिरा गांधी के गरीबी हटाओ के नारे से मिली जीत के बाद अब तक हुए आम चुनावों में पार्टी प्रत्याशी कड़ी मेहनत और कांटे की टक्कर में ही जीत दर्ज कर पाए होंगे। बड़े दलों के नेता तय करते थे कि फलां उम्मीदवार प्रधानमंत्री का पद सुशोभित करेगा, लेकिन वर्तमान में देश की राजनीति ने नया रंग ले लिया है जिसके तहत सभी दलों के नेता और भारतीय नागरिक यह जान चुके हैं कि हमारे देश के लिए नरेन्द्र मोदी सर्वोपरि है। मोदी का नारा सबका साथ सबका विकास सत्रहवीं लोकसभा के आम चुनाव में एनडीए को बड़ी जीत दिलाने में निर्णायक साबित हुआ है। नरेंद्र मोदी के बलबूते एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला है। बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को मोदी के नाम का तोहफा मिला है। 2014 के बाद हमारे देश की राजनीति एकदम बदली नजर आ रही है।
भारतीय नागरिकों ने नरेंद्र मोदी पर भरोसा जताते हुए पार्टी प्रत्याशियों को बड़ी जीत दिलाकर, अपना बहुमूल्य समर्थन देकर नरेंद्र मोदी को देश की कमान फिर से संभालने का मौका दिया है। पूर्व में 5 वर्ष प्रधानमंत्री पद पर रहे नरेंद्र मोदी के कई कड़े फैसलों के बाद जनता ने एक बार फिर पूर्ण विश्वास जताया है। वहीं विपक्षी दलों के महागठबंधन के सभी प्रमुख नेताओं की राजनीति और नरेंद्र मोदी को घेरने वाली बयानबाजी भारतीय नागरिकों ने सिरे से खारिज कर दी। नरेंद्र मोदी पर विपक्षी पार्टियों ने विभिन्न आरोप भी लगाए लेकिन हमारे देश की जनता अब स्मार्ट है। जनता ने सभी आरोपों को जांच-परख कर वोटिंग की जिसके बलबूते आज देश की सियासत बदली नजर आ रही है। अब जनता को नरेंद्र मोदी से 5 साल देश के विकास की बड़ी उम्मीद रहेगी।
ये लेखक के स्वतंत्र विचार हैं।
लेखक – रविन्द्र सिंह (संपादक, यंग राजस्थान)