मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के तहत पूरे प्रदेश में जल सेवी कार्य किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट से राजस्थान जलक्षेत्र में आत्मनिर्भर बना हैं। आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के जरिए राजस्थान पानी के लिए किसी भी राज्य या केंद्र के सामने हाथ नही फैलाएगा। वर्तमान में राज्सथान में मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान का दूसरा फेज चल रहा हैं। इसके तहत गांवों को तर्ज पर शहरों में भी जल सेवी कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के प्रदेशभर में कार्य किए गए है, लेकिन गुणवत्ता को लेकर दो जिले अभियान में मिसाल बनकर सामने आए हैं। अब सैकेंड फेज में होने वाले कार्यों की क्वालिटी को लेकर अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि बूंदी और बांसवाड़ा की तर्ज पर गुणवत्ता को मेंटेन कर सकें।
दरअसल, जल स्वावलंबन अभियान के जौरान होने वाले कार्यों की वैसे ही गुणवत्ता की जांच थर्ड पार्टी से करवाई जाना प्रस्तावित हैं। इसमें किसी तरह की कोई खामियां नही रहे, इसके लिए अधिकारियों को क्वालिटी का प्रशिक्षण दिया जाएगा। नई साल से शुरू होने वाले इस कार्यक्रम को जिलेवार तय किया गया हैं। इसमे गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए गैर मरुस्थलीए जिलों के कलेक्टर मुख्य कार्यकारी अधिकारी, उपवन संरक्षण तथा परियोजना प्रबंधक वाटरशैड सहित संबंधित अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी।
इस दौरान पहले चरण में गुणवत्ता को लेकर बेहतर प्रदर्शन करने वाले दौनों जिलों का दौरा करेंगे। आपकों बता दे कि अभियान का शुभारंभ हो चुका हैं। इस फैज में पहली बार 66 शहरों को भी शामिल किया गया हैं।
जलस्वावलंबन अभियान का दूसरा चरण
मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के दूसरे चरण में प्रदेश के करीब 43 00 गांवों में जल स्वावलंबन से संबंधिक कार्य करवाए जाने हैं। जल स्वावलंबन अभियान दूसरे चरण में 2100 करोड़ की लागत से प्रदेश के कई हिस्सों में कार्य कराये जाएंगे। अभियान के पहले चरण में इसे गांवों तक सीमित रखा गया था लेकिन दुसरे चरण में 66 शहरों को भी शामिल किया जा रहा हैं। अब राजे सरकार शहरों में जल संग्रहण के लिए पूरानी बावड़ियों, तालाबों, जोहड़ों और चवदकों आदि का जीर्णोद्धार कराया जाएगा। इसके अलावा शहरों में रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान’ का प्रथम चरण में धार्मिक समन्वय ट्रस्ट प्रकोष्ठ में 2.62 करोड़ रुपए नगद और करीब 18 करोड़ रुपए श्रम एवं सामग्री के द्वारा प्राप्त किए गए थे। ठीक उसी प्रकार जनसहभागिता से ‘मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान’ से बेहतरीन परिणाम देखने को मिले उसी तरह की उम्मीदें दूसरे चरण से भी है।