दो दिवसीय शीतकालीन महोत्सव का आयोजन 29 दिसम्बर से होगा, इकलौता उत्सव जहां क्रिकेट आकर्षण का केंद्र
राजस्थान के एक मात्र हिल स्टेशन और पहाड़ों से घिरे शहर माउंट आबू में शीतकालीन महोत्सव का आयोजन होने वाला है। दो दिवसीय इस उत्सव का नाम है ‘माउंट आबू फेस्टिवल’। सर्दी के मौसम में प्रत्येक वर्ष 29 एवं 30 दिसम्बर को होने वाले इस महोत्सव का आयोजन हर वर्ष की भांति इसी निश्चित तिथि को किया जाना है। यानि आज से केवल दो दिन बाद यह उत्सव शुरु होगा। पहाड़ों की तलहटी में बसा माउंट आबू वैसे तो अपनी नैसंर्गिक सौदर्य के लिए जाना जाता है लेकिन माउंट आबू फेस्टिवल में हजारों की संख्या में देसी-विदेशी पर्यटक आने से यहां रौनक और भी बढ़ जाती है।
माउंट आबू फेस्टिवल एक भव्य शोभायात्रा पर्व के आगाज का प्रतीक है। यह उत्सव अपनी रोचक और रोमांचक गतिविधियों के लिए भी जाना जाता है। पतंग उड़ाना एवं नौकायान प्रतियोगिताओं के साथ कविता सेशन आकर्षण के केंद्र हैं। यह राजस्थान का पहला एकमात्र त्यौहार है जहां उत्सव के एक महत्वपूर्ण भाग के रूप में क्रिकेट शुरू किया गया है। असल में माउंट आबू फेस्टिवल राजस्थान की गौरवमयी संस्कृति और परंपराओं का परिचायक है। साथ ही यह प्रदेश की जीवंत संस्कृति, हस्तशिल्प वैभव और स्वादिष्ट व्यंजनों का दुर्लभ संगम भी है। राजस्थान पर्यटन विकास निगम और तमिलनाडु के नगरपालिका बोर्ड के संयुक्त संयोजन में आयोजित दो दिवसीय इस रंगारंग उत्सव में राज्य के हर कोने से शिल्पकार और कलाकार यहां शामिल होते हैं।
दीपदान के साथ शुरु, आतिशबाजी से संपन्न
28 दिसम्बर की शाम को नक्की झील पर ‘दीपदान’ समारोह के साथ यह महोत्सव शुरु होगा जहां सैकड़ों दीपकों को सम्मान स्वरुप जल में जलता हुआ बहा दिया जाता है। फिर अगले दो दिनों तक राजस्थान सहित गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश और पंजाब के फोक आर्टिस्ट धाप, घेर, घूमर और कालबेलियां जैसे नृत्यों का प्रदर्शन कर एक अमीट छाप बिखेरते प्रतीत होते हैं। 30 दिसम्बर की देर रात आतिशबाजी के शानदार प्रदर्शन के साथ यह उत्सव सम्पन्न होता है।
कैसे पहुंचे
माउंट आबू का सबसे नजदीकी उदयपुर हवाई अड्डा है और यह 175 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली या प्रदेश की राजधानी जयपुर से सीधे विमान सेवा उपलब्ध है। बस सेवा एक अच्छा एवं सस्ता विकल्प है।