जयपुर। महामारी कोरोना ने अशोक गहलोत सरकार की आर्थिक स्थिति को पूरी तरह से बिगाड़कर रख दिया है। मौजूदा वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में ही सरकार का राजस्व घाटा 27,858 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। वहीं, प्रदेश पर अब तक 3.79 लाख करोड़ रुपए का कर्ज चढ़ चुका है। हालांकि अनलॉक के बाद अब सरकार के राजस्व में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही है। आपको यह जानकार हैरान होगी कि कोविड-19 के कारण बदले हालात में राजस्थान के प्रत्येक व्यक्ति पर करीब 50 हजार रुपए का कर्ज आ गया।
जल्द ही भरपाई होने की उम्मीद
लॉकडाउन खत्म होने के बाद अब धीरे-धीरे सरकार का कर राजस्व बढ़ रहा है। ऐसे में अगले छह महीनों में राजस्व घाटे की भरपाई भी हो सकती है। मगर खर्च पर दबाव रहना तो तय है।
अबतक का सबसे अधिक कर्ज
प्रदेश पर 3.79 लाख करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ चुका है। 7.5 करोड़ की कुल आबादी के हिसाब से अनुमान लगाए तो राज्य के हर व्यक्ति पर 50533 रुपए का कर्ज है। यह अब तक का सबसे अधिक है। आने वाले बजट से पहले गहलोत सरकार ने अपनी वित्तीय सेहत की छमाही रिपोर्ट सार्वजनिक की है। राजस्थान फिस्कल रिस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट के तहत जारी की गई इस रिपोर्ट में सरकार ने अप्रैल से सितंबर तक अपनी आमदनी और खर्च का ब्योरा सार्वजनिक किया है। बता दें कि आमदनी और खर्च के अंतर को राजस्व घाटा माना जाता है।
यूं समझें गणित….
– लंबे लॉकडाउन के कारण कारोबार ठप रहा। इसके कारण सरकार को मिलने वाले टैक्स में भारी गिरावट आई और उसे घाटा उठाना पड़ा।
– केंद्रीय कर 17101 करोड़ के मुकाबले 15541 करोड़ रुपये मिल पाया। इससे भी आर्थिक सेहत बिगड़ गई।
– राज्य सरकार के अपने कर राजस्व में 32% की गिरावट रही। इसने कोढ़ में खाज का काम किया।
– कोविड-19 के कारण हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर आर्थिक मदद बढ़ाई गई। इस पर भी ज्यादा खर्च करना पड़ा।