राजस्थान की दूरदर्शी सोच रखने वाली सीएम वसुंधरा राजे द्वारा शुरू किए गए एमजेएसए अभियान से प्रदेश के भू-जल स्तर में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के अन्तर्गत प्रथम चरण में किए गए जल संरक्षण कार्यों के फलस्वरूप प्रदेश के गैर मरूस्थलीय क्षेत्रों में भू-जल में औसतन 4.66 फिट की वृद्धि हुई है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के प्रथम चरण के जल संरक्षण कार्यों के पश्चात भू-जल एवं कृषि क्षेत्र में हुए सकारात्मक प्रभाव विषयक पुस्तिका का हाल ही में विमोचन किया गया।
एमजेएसएस के प्रथम चरण में हुए 95 हजार से अधिक जल संरक्षण कार्य
राजस्थान नदी बेसिन एवं जल संसाधन योजना प्राधिकरण के अध्यक्ष श्रीराम वेदिरे ने बताया कि अभियान के प्रथम चरण में प्रदेश के 33 जिलों की सभी 295 पंचायत समितियों के 3529 गांवों में 27 जनवरी, 2016 से जल संरक्षण कार्य आरम्भ किए गए थे, तथा 30 जून, 2016 तक की अल्प अवधि में 95000 से अधिक जल संरक्षण कार्य पूर्ण किए गए हैं। उन्होंने बताया कि अभियान से प्रभावित क्षेत्रों में टैंकरों द्वारा पेयजल की आपूर्ति में 56 प्रतिशत तक की कमी आई है। इसी प्रकार बंद पड़े हैंडपंम्स में से 63.64 फीसदी हैंडपंपों में फिर से पानी आ गया तथा 19.72 फीसदी बंद पड़े ट्यूबवैल पुनर्जीवित हो गए हैं।
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45 लाख पशुधन एवं 41 लाख ग्रामीण भी हुए हैं लाभानिवत
श्रीराम वेदिरे ने बताया कि 95000 जल संरक्षण ढांचों के निर्माण से एकत्रित हुए जल से 46879 हैक्टेयर क्षेत्र में कृषि क्षेत्रा में बढोतरी दर्ज की गई है। वहीं, 23.88 फीसदी खुले कुएं भी पुनर्जीवित हुए है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार वृक्षारोपण द्वारा 3678 हैक्टेयर क्षेत्र में वृद्धि होने के साथ ही राजस्थान में 11170 मिलियन क्यूबिक फिट वर्षा जल का संग्रहण किया गया। वेदिरे ने बताया कि अभियान के सकारात्मक प्रभाव से 628.6 मिलियन क्यूबिक फिट जल भू-गर्भ में बढ़ा है। उन्होंने बताया कि जल संरक्षण कार्यों के फलस्वरूप एकत्रित जल से 45 लाख पशुधन एवं 41 लाख ग्रामीण लोग भी लाभान्वित हुए हैं।