भारत में जिंक और आयरन की समस्या को दूर करने के लिए राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान ने पहली बार बाजरे की ऐसी दो नई किस्में विकसित की हैं जो जिंक और आयरन से भरपूर हैं। ये नई किस्मों में खास बात यह है कि ये महिलाओं में एनीमिया की समस्या दूर करने के साथ ही बच्चों को कुपोषण से बचाने में भी मददगार साबित होंगी। बता दें, भारत में जिंक और आयरन की कमी कुपोषण की बड़ी वजह है। देश में 80 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी पाई जाती है। साथ ही 6 से 35 साल तक के 74 प्रतिशत लोगों में आयरन की कमी देखी गई है। वहीं बड़े स्तर पर बच्चे भी कुपोषण का शिकार है। आयरन की कमी के चलते महिलाओं में गर्भधारण करने में परेशानी और गर्भ के दौरान बच्चे की मृत्यु होने जैसे मामले सामने आते रहे हैं।
राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान ने विकसित की है नई किस्में
राजधानी जयपुर के दुर्गापुरा स्थित राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान ने देश को एनीमिया और कुपोषण से छुटकारा दिलाने के मकसद से बाजरे की दो नई किस्में विकसित की है। आरएचबी 233 और आरएचबी 234 नाम की ये नई किस्में जिंक और आयरन से भरपूर हैं। दोनों किस्में महिलाओं को रक्त की कमी और बच्चों को कुपोषण की समस्या से निजात दिलाने में मददगार साबित होगी। अखिल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा अखिल भारतीय बाजरा अनुसंधान परियोजना की हाल ही में जोधपुर में हुई 53वीं कार्यशाला में इन दोनों किस्मों को अनुमोदन के लिए रखा गया है।
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देशभर में पैदावार के हिसाब से तैयार की गई हैं बाजरा की नई किस्में
नई किस्में ईजाद करने वाले कृषि वैज्ञानिकों का कहना है पहली बार पूरे देश के लिहाज से ये नई किस्में तैयार की गई हैं। इन किस्मों से राजस्थान के साथ ही हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, तमिलनाडु, गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में बाजरे की अच्छी पैदावार की जा सकती है। इनमें आयरन की मात्रा 80 से 90 पीपीएम और जिंक की मात्रा 40 से 50 पीपीएम है। खास बात यह भी है कि इनसे प्रति हैक्टेयर एरिया में 30 से 35 क्विंटल बाजरा और 70 से 80 क्विंटल चारे की पैदावार होगी जो दूसरी किस्मों से ज्यादा है। साथ ही बाजरे की ये नई किस्में केवल 80 दिनों में पककर तैयार हो जाएगी। बता दें, बाजरे की फसल में सूक्ष्म पोषक तत्वों में वृद्धि के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।