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File-Image: राजस्थान के स्कूलों में अब पढ़ाया जाएगा सैन्य शिक्षा का पाठ.

प्रदेश के युवा हमेशा से ही देश सेवा के लिए तत्पर रहे हैं। इसका पता आंकड़ों से चलता है कि सेना की विभिन्न विंगों में बड़ी संख्या में राजस्थान के युवा सेवा दे रहे हैं। अब तक ​हुए विभिन्न युद्धों में भी प्रदेश के वीर योद्धाओं ने देश के खातिर प्राण न्यौछावर किए हैं। सेना के प्रति युवाओं के उत्साह को बरकरार रखने के लिए अब स्कूलों में सैनिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया जाएगा। हाल ही में सचिवालय में सैनिक कल्याण बोर्ड की हुई बैठक में यह अहम निर्णय लिया गया। इसके लिए राजस्थान के स्कूल पाठ्यक्रम में एक कालांश या 30 मिनट सिर्फ सैनिक शिक्षा के लिए रखा जाएगा। सिलेबस में सैन्य कौशल, युद्ध रणनीति और सैन्य साजो-सामान सहित कई महत्वपूर्ण शामिल की जाएगी। इससे प्रदेश के युवाओं को सेना के बारे में विभिन्न जानकारी मिल पाएगी। जिसका फायदा उन्हें आगे करियर चुनने में होगा।

राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के लिए तैयारी में मदद करेगा यह पाठ्यक्रम

सैनिक कल्याण मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि यह पाठ्यक्रम राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में चयनित होने के लिए तैयारी में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि स्कूली पाठयक्रम में युद्ध कौशल, सैन्य-साजो सामान और युद्ध रणनीति सहित कई बिंदुओं को कवर किया जाएगा। सैनिक कल्याण मंत्री खाचरियावास की अध्यक्षता में आयोजित सैनिक कल्याण बोर्ड की पहली बैठक में भूतपूर्व सैनिकों का मानदेय बढ़ाने की बात कही गई है। भूतपूर्व सैनिकों का मानदेय 9 हजार से बढ़ाकर 18 हजार रुपए किया जाएगा। दूसरे विश्व युद्ध में शहीद हुए परिवारों की वीरांगनाओं का मानदेय भी दोगुना करने की सिफारिश की गई है। मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि प्रस्ताव वित्त विभाग को भेज दिया गया है। जल्द ही इसे वित्त विभाग की मंजूरी मिल जाएगी।

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शहीद दिवस पर राजस्थान में बड़ा कार्यक्रम आयोजित कर सकती है सरकार

सैनिक कल्याण मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि बैठक में लिए गए निर्णय राज्यपाल और मुख्यमंत्री स्तर पर बैठक या अन्य जरिए से मुकाम पर पहुंचाए जाएंगे। उन्होंने ने कहा कि शहीद दिवस पर प्रदेश में बड़ा कार्यक्रम आयोजित करने पर भी सरकार विचार कर रही है। कार्यक्रम में सरकार शहीदों के परिजनों को सम्मानित करेगी। मंत्री नेे कहा कि राज्य के उन जिलों पर भी फोकस किया जाएगा, जहां सेना में भर्ती के लिए नौजवान अधिक उत्सुकता नहीं दिखाते हैं। संख्या के हिसाब से सेना में कम भर्ती होने वाले जिलों को चिन्हित कर वहां के स्थानीय युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया जाएगा।