अब आत्महत्या करने वाले को अपराधी नहीं, बल्कि मानसिक रोगी माना जाएगा। मेंटल हेल्थकेयर एक्ट-2017 में ऐसे प्रावधान किए गए हैं। गुरुवार से यह एक्ट राजस्थान में लागू हो गया। इसके तहत अब मानसिक बीमारों का भी मेडिकल इंश्योरेंस हो सकेगा। एक्ट के तहत प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में अब मानसिक रोगियों को नि:शुल्क उपचार उपलब्ध कराया जाएगा। इसमे बच्चों से लेकर वरिष्ठ नागरिक भी शामिल होंगे। सरकार ने इस दिशा में कदम उठाते हुए मेंटल हेल्थ केयर अधिनियम 2017 की पालना की है। प्रदेश में मेंटल हेल्थ केयर अधिनियम 2017 की पालना करते हुए राज्य मेंटल हेल्थ केयर अथॉरिटी का गठन कर दिया गया है। राज्य एमएचसी ऑथोरिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में अतिरिक्त मिशन निदेशक, एनएचएम डॉ. आरूषि मलिक को नियुक्त किया गया है।
मेंटल हेल्थ केयर एक्ट को लागू करने में राजस्थान अग्रणी राज्यों में शामिल
स्वास्थ्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं मिशन निदेशक एनएचएम नवीन जैन ने बताया कि केन्द्र सरकार के मेंटल हेल्थ केयर एक्ट को लागू करने में राजस्थान अग्रणी प्रदेशों में शामिल है। उन्होंने बताया कि राज्य मेंटल हेल्थ केयर अथॉरिटी के साथ ही समस्त जिलों में भी जिला मेंटल हेल्थ बोर्ड का गठित किए जाएंगे। इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित सभी क्लिनिकों को आगामी 6 माह में अपना पंजीयन करवाना अनिवार्य होगा। जैन ने बताया कि इस अधिनियम में आत्महत्या को रोग मानते हुए इनकी रोकथाम को विशेष प्राथमिकता के रूप में शामिल किया गया है। अथॉरिटी के गठन के बाद अब मानसिक रोगियों का प्राथमिकता के साथ इलाज हो सकेगा।
गौरतलब है कि राजस्थान के सभी जिला अस्पतालों में राज्य सरकार द्वारा मानसिक रोगों के उपचार की सुविधा उपलब्ध करवायी जा रही है। सरकार की योजना के तहत समस्त बच्चों तथा वरिष्ठ नागरिकाें को पूर्णत निःशुल्क उपचार उपलब्ध करवाया जा रहा है। मेंटल हेल्थ केयर अधिनियम 2017 की अभी तक अधिकांश राज्यों में पालना नहीं हुयी है। राजस्थान देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हो गया है जहां इस अधिनियम की पालना की जा रही है। मेंटल हेल्थकेयर एक्ट-2017 की धारा 115 के तहत आत्महत्या की कोशिश व्यक्ति भारी तनाव में करता है। ऐसे में उसे अपराधी मानकर दंडित नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे व्यक्ति के लिए सरकार का कर्तव्य है कि उसे मानसिक रोगी मानकर उसके इलाज से लेकर उसके पुनर्वास करे, ताकि ऐसा फिर से होने की आशंका कम हो सके।