उरी सेक्टर में सीमा पर आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हुए झुंझुनूं का सपूत शमशाद खान (42) के पार्थिव शरीर को राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया गया। झुंझुनूं का यह वीर सपूत 16 जनवरी को उरी सेक्टर में सीमा पर आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हो गया था। वह झुंझुनूं जिले की खेतड़ी तहसील के माधोगढ़ ग्राम पंचायत के ताल गांव का रहने वाला था और सेना में पांच गर्नेडियर चार्ली कम्पनी में जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में सीनियर हवलदार के पद पर कार्यरत था। शहीद के परिवार में पत्नी, दो बेटियां और दो बेटे हैं। गुरूवार को शहीद का पार्थिव शरीर ताल गांव लाया गया जहां अपराह्न दो बजे राजकीय सम्मान के साथ इंत्येष्टि की गई। इस दौरान पूरे गांव में मातम छा गया और राजकीय सम्मान के साथ सभी ने नम आंखों से देश के वीर जवान को अंतिम विदाई दी।
गौरतलब है कि सोमवार को उरी सेक्टर में सेना की आतंकियों से मुठभेड़ हुई थी। इसमें सेना ने जैश-ए-मोहम्मद के 6 आतंकियों को मार गिराया था। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने भी सीएचएम शमशाद खान के शहीद होने पर संवेदना व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने अपने संवेदना संदेश में कहा कि ‘शहीद शमशाद ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया है। उनकी इस शहादत पर प्रदेश और देशवासियों को गर्व है।’ राजे ने परवरदिगार से मरहूम को जन्नते फिरदौस में जगह अता करने तथा शोक संतप्त परिजनों को यह आघात सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है।
शहीद शमशाद खान के परिवार की बहादुरी के किस्से क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं। शमशाद खान के पड़दादा खेतड़ी ठिकाने में काम करते थे। बताया जाता है कि उन्होंने एक बार जिंदा शेर को पकड़ लिया। इस पर खेतड़ी नरेश ने उनको बहादुर खान के नाम से नवाजा और ताल गांव में उन्हें जमीन दी गई। खेतड़ी ठिकाने की तरफ से तीन पीढ़ियों की पेंशन भी दी गई। शमशाद खान के परिवार में उनके दादा, भाई और चाचा-ताऊ सहित लगभग 30 लोग सेना में देश की सेवा कर चुके हैं।