मंगलवार (13 फरवरी) को महाशिवरात्रि है। देवों के देव महादेव की सेवा व पूजा कर उनसे मनचाहा वर मांगने का दिन है महाशिवरात्रि। महादेव ने स्वयं विद्येश्वर संहिता में कहा है कि जो व्यक्ति महाशिवरात्रि को निराहार और जितेन्द्रिय होकर श्रद्धापूर्वक उपवास रखता है और उसी रात को चारों प्रहर की पूजा करता है उसकी कोई भी मनोच्छा कभी अधूरी नहीं रहती। धार्मिक पुराणों में इस महाशिवरात्रि का खासा महत्व है। ग्रंथों के अनुसार इस रात यदि चारों प्रहर की पूजा की जाए तो जीवन के सभी कष्ट दूर होकर मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है। अगर आपके मन में भी कोई दुविधा है या कोई मनोइच्छा है तो दी गई विधी पूर्वक महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोले की पूजा करें।
इस साल महाशिवरात्रि का अबुझ संयोग है जो 13 फरवरी को सांय 6.21 बजे से 14 फरवरी सुबह तक चलेगा। इस तरह से इस वर्ष महाशिवरात्रि दो दिन मनाई जाएगी। 12 फरवरी को सोमवार होने की वजह से लगातार तीन दिन भगवान भोले शंकर की पूजा-अर्चना कर उन्हें मनाने का एक विशेष मौका है।
इन चार प्रहरों में करें पूजा
महाशिवरात्रि पर जिन चार प्रहर में पूजा की जाती है, उसका शुभ समय इस प्रकार होगा –
- प्रथम प्रहर- सायं 6.21 से रात्रि 9.30 तक
- द्वितीय प्रहर- रात्रि 9.31 से रात्रि 12.40 तक
- तृतीय प्रहर- मध्य रात्रि 12.41 से अद्र्धरात्र्योत्तर 3.49 तक
- चतुर्थ प्रहर- अद्र्धरात्र्योत्तर 3.50 से अंतरात्रि अगले दिन सूर्योदय पूर्व प्रात: 6.59तक।
इन सभी शुभ समय के साथ एक निशेध काल भी होता है जिसमें पूजा या अभिषेक करना ठीक नहीं समझा जाता।
निशेध काल- मध्यरात्रि 12.15 से रात्रि 1.06 तक।
यह है विधि-विधान से पूजा का तरीका
महाशिवरात्रि के दिन चारों प्रहरों में भोलेनाथ की पूजा की जाती है। इस दिन प्रात: से प्रारंभ कर संपूर्ण रात्रि शिव महिमा का गुणगान करें और बिल्व पत्रों से पूजा अर्चना करें। इसके अलावा इन प्रहरों में मिले समय में रुद्राष्टाध्यायी पाठ, महामृत्युंजय जप, शिव पंचाक्षर मंत्र आदि के जप करने का विशेष महत्व है।
प्रथम प्रहर में संकल्प लेकर दूध से स्नान तथा ‘ओम हृीं ईशानाय नम:’ मंत्र का जप करें। द्वितीय प्रहर में दही स्नान कराकर ‘ओम हृीं अघोराय नम:’ का जप करें। तृतीय प्रहर में घी स्नान एवं ‘ओम हृीं वामदेवाय नम:’ का जप करें। चतुर्थ प्रहर में शहद स्नान एवं ‘ओम हृीं सद्योजाताय नम:’ मंत्र का जाप करें। रात्रि के चारों प्रहरों में भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने से जागरण, पूजा और उपवास तीनों पुण्य कर्मों का एक साथ पालन हो जाता है।
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