भरतपुर. राजस्थान जन सांस्कृतिक परिषद् के तत्वाधान में कवियों का महाकुंभ का आयोजन किया गया। जिसमें 35 कवियों ने हिस्सा लिया। जिसकी अध्यक्षता वेदप्रकाश वेद प्रान्तीय अध्यक्ष, मुख्य अतिथि देवेन्द्र चामड, समाजसेवी विशिष्ट अतिथि मनोज शर्मा, प्रिंसीपल लॉ कॉलेज भरतपुर एवं राकेश राजस्थानी ने की। कायर्क्रम का संचालन राजेन्द्र अनुरागी चन्द्रभान फौजदार ने किया।

सवर्प्रथम माँ शारदे के चित्र पर माल्यापर्ण किया एवं दीप प्रज्जलित किया। सरस्वती वदना अभिषेक अमर नगर ने की। राधाकिशन सैनी ने भरतपुर के संपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों का वर्णन किया। लोकेश सिंघल ने छोटो सौ मौहल्ला मैरो पूरो विग बाजार हतौ। राजेन्द्र अनुरागी ने बासुरी बजाये कैं रिझाय रहे गिरधारी बृज की वसुंधरा कुं अपनो बनायौ है। सुशील शर्मा . गम की तपन से जलने लगे है। शैलेश तिवारी फिर यू ही बह गया एक दिन डाण् सुरेश चतुर्वेदी. प्रतिशोध के कारण ही सुरा सुर में संग्राम था। कृष्ण कन्हैया . गीत सियासत का गाकर कोहराम मचाने आया हूँ। रेनुदीप गौड . कामयाब शुभओ खलाकत रहें। सीण्एसण् कृष्णा . आग नफरतों की लगाकर बुझाता नही कोई। सुरेश शमार् . कान्हा एक बार फिर आओ। ओमप्रकाश कुन्तल . फेशन वो ही अच्छी लगती हैए जो सबके मन को भाए। नेकराम नेक . कवि की लेखनी पर फिदा होते है फरिस्ते। ओमप्रकाश आजाद . रंग बिरगो भारत मेरौ। नरेन्द्र निमर्ल ने गजलए हरिओम हरि ने बृज भाषा के छन्द सुनाकर श्रोताओं को लौट पोट कर दिया। वरिष्ठ कवि हरीशचन्द हरि ने बृज भाषा के छन्द एवं डीग से आये सोहनलाल शर्मा प्रेम ने बुढापे की दुर्व्यवस्था का वणर्न कर सबको लाभान्वित किया। संस्था की ओर से तीन कवियों हरीशचन्द हरि नगर, सोहनलाल शर्मा प्रेम डीग एवं रामवीर वर्मा इतिहासकार का श्लोक मनीषी की उपाधि से विभूषित किया गया।

संवाददाता- आशीष वर्मा