हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन हुआ। इन तीन राज्यों में कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब जरूर रही, लेकिन कांग्रेस को बड़ा बहुमत नहीं मिला। इन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस नेताओं को जनता ने आपस में लड़ते देखा। कांग्रेस के नेताओं ने इस दौरान बैठकों में अपनी पार्टी के ही नेताओं के साथ कई जगह धक्कामुक्की की तो कई जगह कुर्ते-कपड़े फाड़ दिए। आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर एक बार फिर बैठकों का दौर शुरू हो गया है, साथ ही शुरू हो गई है कांग्रेसी नेताओं की आपसी खिंचतान और धक्कामुक्की। लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस के लिए कार्यकर्ताओं में एकजुटता बनाए रखना बड़ी चुनौती है।
कांग्रेस की बैठकों में विरोध के स्वर, कई जगह कार्यकर्ताओं में धक्कामुक्की
गत रविवार को कांग्रेस की ओर से लोकसभा चुनावों के लिए पैनल तय करने की लिए जिला स्तर पर बैठकें आयोजित की गई। इन बैठकों में पार्टी नेताओं में आपसी खींचतान देखने को मिली। बैठकों में कई जगह विरोध के स्वर गूंजे तो कई जगह कार्यकर्ताओं में धक्कामुक्की हुई। उम्मीदवारों का पैनल तय करने के लिए बुलाई गई इन बैठकों में कई जगह खेमेबंदी और हंगामे हुए। अजमेर, नागौर और बीकानेर सहित कई जगहों पर बैठक में कार्यकर्ताओं की नाराजगी सामने आई। कार्यकर्ताओं की मुख्य नाराजगी उनकी राय को तरजीह नहीं देना है। इससे पहले विधानसभा चुनाव में भी पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच धक्कामुक्की की घटनाएं हुई थी।
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विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत नहीं मिलने से डर के साए में कांग्रेस
हालिया राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 200 में से 99 सीटें मिली। इसे अच्छा बहुमत मिलना बिल्कुल नहीं कहा जा सकता। हां ये बात अलग है कि कांग्रेस 100 विधायकों के साथ सरकार बनाने में कामयाब रही। अब कांग्रेस के सामने लोकसभा चुनाव बड़ी चुनौती उभरकर सामने आ रहा है। पार्टी में नीचे के स्तर पर भीतरघात और विरोध को रोकना उसके लिए सबसे बड़ा चैलेंज होगा। पार्टी भले ही वोट बैंक को जोड़े रखने का दावा कर रही है, लेकिन नीचे के स्तर भीतरघात और बैठकों में विरोध साफ नजर आ रहा है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों के अनुभवों से सीख लेते हुए लोकसभा चुनावों में प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया बहुत पहले शुरू कर दी है। लेकिन बीजेपी को हरा पाना कांग्रेस के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं है।