लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही बीजेपी के कई नेता आगामी चुनाव में टिकट की दावेदारी जताने लगे हैं। लोकसभा टिकट के दावेदारों की दिन-ब-दिन संख्या बढ़ती जा रही है। चुनावी तैयारी में जुटी पार्टी के सामने कई नए दावेदारों के नाम आ रहे हैं। ये दावेदार आम चुनाव में टिकट पाने की जुगत लगा रहे हैं। भाजपा की संसदीय सीटों पर प्रवास बैठकें शुरू होने के साथ ही पार्टी में टिकटों को लेकर गोलबंदी शुरू हो गई। पार्टी ने 25 संसदीय सीटों के लिए करीब 16 प्रभारी तैनात किए हैं। जिसमें से अब तक करीब 14 सीटों पर प्रभारियों की बैठकें हो चुकी हैं। सबसे ज्यादा दावेदारी अजमेर, अलवर और दौसा में आई है। यहां संगठन के 20 से ज्यादा नेताओं ने अपने लिए टिकट मांगा है।
प्रदेश में इस बार कई नए चेहरों को मैदान में उतार सकती है भाजपा
राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटें हैं। बीजेपी प्रदेश में इस बार कई नए चेहरों को मौका दे सकती है। इसके लिए कुछ पुराने चेहरों के टिकट कटना तय है। जयपुर समेत कई सीटों पर प्रत्याशी बदले जा सकते हैं। राजसमंद लोकसभा सीट के लिए इस बार बीजेपी के मौजूदा सांसद हरिओम सिंह राठौड़ के साथ ही पार्टी के नेता भंवर सिंह पलाड़ा ने भी टिकट के लिए दावेदारी जताई है। वहीं पूर्व विधायक हरि सिंह रावत भी दावेदारी जता रहे हैं। अलवर में पूर्व विधायक राम हेत यादव, देवेन्द्र दत्त, ज्ञानदेव आहूजा ने सांसद के टिकट को लेकर अपनी दावेदारी जताई है। वहीं अजमेर से पूर्व जिलाध्यक्ष बीपी सारस्वत, पूर्व विधायक भागीरथ चौधरी व भंवर सिंह पलाड़ा ने सांसद के टिकट के लिए दावेदारी जताई है। राजकुमारी दिया कुमारी ने इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था तभी से सियासी हलकों में यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे जयपुर ग्रामीण या टोंक-सवाई माधोपुर से सांसद का चुनाव लड़ सकती है। उन्होंने 9 फरवरी को टोंक-सवाई माधोपुर के बीजेपी नेताओं को अपने आवास पर खाने के लिए बुलाया है।
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आठ से ज्यादा सांसदों के काटे जा सकते हैं टिकट
2019 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में 8 से ज्यादा सांसदों के टिकट काट सकती है। इसमें जयपुर शहर, टोंक-सवाई माधोपुर, कोटा-बूंदी, करौली-धौलपुर, भरतपुर, सीकर, बाड़मेर संसदीय सीट शामिल है। यहां पार्टी को विधानसभा चुनावों में बड़ी हार मिली है। इसका असर यहां के टिकटों पर भी पड़ने वाला है। विधानसभा चुनावों में जयपुर शहर संसदीय क्षेत्र में बीजेपी 8 में से 5 सीटें हार गईं। बाड़मेर में भी पार्टी 7 में छह सीटें हारी हैं। दौसा सांसद हरीश मीणा पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं इसलिए यहां भी पार्टी को नया चेहरा तलाशना होना। करौली-धौलपुर सीट पर भी इस बार टिकट बदल सकता है। यहां भी पार्टी ने 8 सीटों में से सिर्फ 1 सीट ही जीत दर्ज की है। विधानसभा चुनाव में जोधपुर की 8 में से सिर्फ 2 सीटें ही पार्टी के खाते में आ पायी। यहां भी बीजेपी टिकट बदल सकती है।