श्रीडूंगरगढ़. यहां राष्ट्रीय राज मार्ग पर स्थित संस्कृति भवन में रविवार को साहित्यिक संस्था राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति का हीरक जयंती समारोह आयोजित हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्व विद्यालय के उपकुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि राष्ट्रभाषा, राष्ट्र शिक्षा और राष्ट्र एकता के लक्ष्यों को साधने में साहित्य का बहुत बड़ा योगदान रहा है। यह उल्लेखनीय बात है कि देश में श्रीडूंगरगढ़ शहर राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति के नाम से पहचाना जाता है। संस्था ने विगत बासठ वर्षों में साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में अपनी गहरी जड़ें जमाई हैं।

अध्यक्षता करते हुए संगीत नाटक अकादमी के पूर्व सचिव डाॅ. डी.बी. क्षीरसागर ने कहा कि आज का लोक साहित्य, कल का शास्त्रीय साहित्य है। साहित्य और इतिहास प्राचीन संस्कृति पर आधृत होने पर अधिक कालजयी बनता है। समाज और राज को साहित्य संरक्षण के सभी प्रयास करने चाहिए।

मुख्य वक्ता साहित्यकार डाॅ. चेतन स्वामी ने कहा कि राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, साहित्य और संस्कृति से जुड़े लोगों के लिए किसी तीर्थ स्थल से कम महत्वपूर्ण नहीं है। यहां इस संस्था ने अपने बासठ वर्षों के काल में कभी भी नैराश्य को पास में फटकने नहीं दिया, उसी का फल है कि संस्था ने अपने जुड़ाव से राष्ट्रीय ख्याति के अनेक साहित्यकार दिए।

विशिष्ट अतिथि महाराजा गंगासिंह विश्व विद्यालय के अतिरिक्त कुल सचिव डाॅ. बिट्ठल बिस्सा ने कहा कि राष्ट्र भाषा के शोध अनुसंधान और प्रकाशन के कार्य किसी विश्व विद्यालय से कम नहीं है। स्वगताध्यक्ष भामाशाह भीखमचंद पुगलिया ने कहा कि किसी भी संस्था के द्वारा हीरक जयंती मनाने का तात्पर्य ही यही है कि संस्था ने कार्य करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। विधायक गिरधारीलाल महिया ने कहा कि इस संस्था को संवारने में साहित्यकार श्याम महर्षि ने अपना समूचा जीवन लगाया है। साहित्य में जीवन के मूल्य निहित रहते हैं।

संस्था के अध्यक्ष श्याम महर्षि ने संस्था द्वारा की गई बासठ वर्षों की यात्रा का बयान किया और बताया कि किस तरह से एक एक जन का इस संस्था के साथ आत्मीय जुड़ाव होता गया। विशिष्ट अतिथि डॉ.प्रदीप कुमार दीप ने संस्था के लोक जुड़ाव को अमूल्य निधि बताया। नगर पालिका अध्यक्ष मानमल शर्मा ने कहा कि इस शहर के लिए यह गर्व की बात है कि यहां राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय पटल पर अपना परचम लहराने वाली साहित्यिक संस्था मौजूद है। इस दौरान संस्था के मंच से विभिन्न सेवा क्षेत्र में कार्य करने वाले जनों को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार रवि पुरोहित ने किया। इससे पूर्व राजेन्द्र स्वर्णकार की सरस्वती वंदना से शुरू हुए इस कार्यक्रम में अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्वलित किया।

इनका हुआ सम्मान

इस दौरान संस्था के आर्थिक सहयोगी मंगलाराम गोदारा, गिरधारीलाल महिया, लक्ष्मीनारायण सोमाणी, भीखमचंद पुगलिया, सुशील कुमार बाहेती, गिरधारीलाल खटनाणी, जुगल किशोर तावणिया, निर्मल बोथरा, बजरंगलाल तापड़िया, गोविंद ग्रोवर, छगनलाल सेवदा, महावीर प्रसाद माली, विजय महर्षि, विनोद कुमार सिखवाल का शॉल एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान किया। इसके अलावा शिक्षा क्षेत्र में डॉ. राधाकिशन सोनी, समाज सेवा में ओम प्रकाश स्वामी, आरती कोचर, श्रीगोपाल व्यास, पत्रकारिता में गिरीराज हर्ष, चित्रकला में सन्नू हर्ष, संस्कृति क्षेत्र में नटवरलाल जोशी, पर्यावरण में ताराचंद इंदौरिया, योग में श्याम सुन्दर आर्य, गौ सेवा में शोभाचंद आसोपा, कृषि नवाचार में श्रवण कुमार भाम्भू, बाल साहित्य में अब्दुल समद राही, साहित्य क्षेत्र में विमला महरिया, राजेन्द्र शर्मा मुसाफिर, किशन दाधीच, मुकेश पोपली, शकूर बीकाणवी, खेल समीक्षक में आत्माराम भाटी तथा श्रेष्ठ संस्था नगरश्री लोक संस्कृति शोध संस्थान को सम्मानित किया।

ये रहे मौजूद

कार्यक्रम के दौरान संस्था के कोषाध्यक्ष रामचंद्र राठी, इंद्र भादाणी, ललित बाहेती, श्रीगोपाल राठी, सत्यव्रत पुगलिया, निर्मल पुगलिया, प्रेम बचा, ओमप्रकाश गांधी, धर्मचंद धाडेवा, तुरजमल बोधिजा, एस कुमार सिंधी, शिव स्वामी, बजरंग शर्मा, सत्यदीप, मदन सैनी सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।