राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान कला एवं संस्कृति मंत्रालय, राजस्थान सरकार एवं केन्द्रीय पुस्तकालय, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रमों की श्रृंखला में बुधवार 1 फरवरी को सायं 4ः15 बजे सुनी पढ़ी लिखी व्याख्यान श्रृंखला के तहत व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. विनोद कुमार सिंह जी रहे। इस व्याख्यान के वक्ता प्रो आर.सी.गौड़, निदेशक, राष्ट्रीय नाटक अकादमी, नई दिल्ली रहे। व्याख्यान का विषय भारतीय प्रलेखी विरासत की सुरक्षा, संरक्षण एवं प्रोन्नति था।
अपने व्याख्यान के दौरान डाॅं. गौड़ ने भारत की पाण्डुलिपि संरक्षण के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर को पुस्तकालयों व प्राच्य संस्थानों के माध्यम से संजोकर रखने का संदेश दिया। इसके साथ-साथ इण्टरनेशनल मेमोरी आॅफ वल्र्ड रजिस्टर में लुप्त होती भाषाओं के संकलन का उल्लेख किया। भारतीय प्रलेखों के डिजिटल संरक्षण पर जोर देने के साथ ही आम लोगों में इनकी सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही आम जनसमूह से सम्पर्क स्थापित कर उनके पास उपलब्ध दुर्लभ पुस्तकें एवं पाण्डुलिपियों को पुस्तकालय में भेंट करने हेतु प्रोत्साहित किया जाये। उन्होनें बताया कि पुस्तकालयाध्यक्ष को एक मित्र, दार्शनिक एवं मार्गदर्शक के रूप में अपना कार्य, भूमिका को सम्पादित करना चाहिये। अकादमिक पुस्तकालयों में जनसमूह के को प्रवेश एवं उपयोग की सुविधा मिलनी चाहिये।
इस उपलक्ष पर राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान के वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी डाॅं. नितिन गोयल द्वारा स्वागत अभिभाषण में प्रतिष्ठान एवं उसमें संचालित संदर्भ पुस्तकालय की अकादमिक गतिविधियों एवं सुनी लिखी पढ़ी श्रृंखला के बारे में ऑनलाईन/ऑफलाईन जुड़े दर्शकों को अवगत कराया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. सिंह का स्वागत डाॅं. राजेन्द्र कुमार द्वारा पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया। कार्यक्रम के अन्त में महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के पुस्तकालयध्यक्ष श्री उमेश शर्मा ने व्याख्यान में उपस्थित मुख्य अतिथि एवं आगन्तुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
व्याख्यान का प्रसारण ऑनलाईन/ऑफलाईन मोड दोनों में प्रसारित किया गया। जूम प्लेटफार्म पर संचालित इस व्याख्यान का तकनीकी संचालन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से डाॅ. सोनू ने किया।
इस व्याख्यान में देश के 11 राज्यों से 250 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें बीस विश्वविद्यालयों के शोधार्थी भी पंजीकृत हुवें। बीकानेर से आर्किलाॅेजी एवं एपिग्राफी संस्था के सचिव डाॅ. राजेन्द्र कुमार, डाॅं. मोहम्मद फारूक चैहान, डाॅ. नासिर जैदी, एजाज अहमद, ? डाॅं. सुखारामजी, एम.एल. जांगिड़, राजाराम स्वर्णकार, कासिम बीकानेरी, सुरेन्द्र राजपुरोहित, कुलदीप चन्द, विमल कुमार, सितांशु ताखर, अजय कुमार आदि प्रतिष्ठान में प्रत्यक्ष रूप से जुडे़। आॅनलाईन प्रसारण प्रतिष्ठान के यूट्यूब चैनल एवं फेसबुक प्लेटफार्म के जरिये प्रसारित हुआ।