भरतपुर की रेलवे कॉलोनी स्थित अल्लाद्दीन का नगला में हजरत बाबा झाऊशाह, बब्बरशाह ,बहादुर शाह की दरगाह पर हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतिक 52 वें उर्स पर कब्बाली का आयोजन किया गया जिसमें कब्बालों ने कब्बाली,गजल ,शायरी की प्रस्तुति देकर दर्शकों को मन्त्र मुग्ध कर दिया।

गद्दीनशीन बाबा मुईन्नुद्दीन अब्बासी की मौजूदगी में आयोजित कब्बाली कार्यक्रम में कब्बाल गुलराज राजा में ख्वाजा की दरगाह ने हाजरी लगाते हुए ” भर दो झोली या मोहम्मद ,लौट कर मै न जाऊं खाली ” सुनाकर अरदास लगाईं। इसके पश्चात उन्होंने ” जर्रे को चट्टान बना दे या अल्लाह,बहशी दरिंदों को इंसान बना दे अल्लाह ” की प्रस्तुति देकर देश में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को खत्म करने की गुहार लगाईं तो दर्शक भावुक हो गए और कब्बाली को सुनते हुए दर्शकों के अश्रु तक निकल आये।

कब्बाल गुलराज बारसी ने हिन्दू-मुस्लिम की एकता को दर्शाते हुए हिन्दू-मुस्लिम ” एक ही थाली में खाएं ,ऐसा हिंदुस्तान बना दे अल्लाह ” सुनाकर देश प्रेम की छाप छोड़ी। उन्होंने “कौन टाल सकता है, फैसला मोहम्मद का,फैसला खुदा का है ,फैसला मोहम्मद का है ” सुनाकर अपनी पीड़ा को परवद दिगार को बताकर उनके फैसले को स्वीकार करने की नसीहत दी। कब्बाल गुलराज राजा ने ” जब अँधेरों में गुज़रती है चाँद की रातें ,थका था तब सुबह का तारा होता है,बने ना ताजमहल फिर से दुनिया में कभी,बड़ी मुश्किल से यहाँ गरीबों का गुजारा होता है ” सुनाकर वाही वाही लूटी। इसके साथ ही रसभरी शेर ओ शायरी सुनाकर दर्शको को लोट पोट कर दिया।

कब्बाली कार्यक्रम में मोनू बारसी ,मुस्स्लम वारसी,अखलख बारसी ने संगत दी। इससे पहले मोहिन खान,आशु,तन्नू,ओमा ,अमित अग्रवाल,शब्बीर,परवेज अब्बासी नरेश,रतन पेंटर बंटी ने कब्बालों का स्वागत किया। संचालन पत्रकार शिवकुमार वशिष्ठ ने किया।

इसके साथ ही दरगाह पर विशाल भंडारे का आयोजन हुआ जिसमे भरतपुर के अलावा आगरा,मथुरा,फैजाबाद ,फरीदाबाद हाथरस,अलीगढ, जयपुर का अलावा अन्य शहरों के अनुयायिओं ने प्रसादी गृहण की। बाद में मिलाद शरीफ की रस्म के साथ उर्स का समापन हुआ। गद्दीनशीन बाबा मुइनुद्दीन अब्बासी ने सभी का आभार व्यक्त किया।

संवाददाता- आशीष वर्मा