ब्यूरोक्रेसी में बड़े बदलाव कर कांग्रेस सरकार ने अपने चेहतों और काबिल अफसरों को फिर से बड़े विभागों की जिम्मेदारी सौंप दी हैं। भले ही गहलोत सरकार को मंत्रिमंडल गठन और फिर विभाग बंटवारे में वक्त लगा हो लेकिन, ब्यूरोक्रेसी में बदलाव करने में उन्हें ज्यादा वक्त नहीं लगा। सरकार ने पिछले 8 दिन में 140 अफसरों को इधर से उधर कर दिया है। इन अफसरों में चर्चित आईएएस अफसर जगरूप सिंह यादव भी शामिल है जिन्हें जयपुर का नया कलेक्टर बनाया गया है।
जयपुर कलेक्टर के रूप में जगरूप सिंह यादव ने पदभार ग्रहण कर लिया हैं। लेकिन, इन पर दर्ज मामलों की वजह से ये सबसे ज्यादा चर्चा में है। कारण स्पष्ट है जिले के मुखिया जो है। जगरूप सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में पांच मामले दर्ज हैं, जबकि रेनवाल में सिवायचक जमीन पर पट्टे देने के एक मामले में अभियोजन स्वीकृति पेंडिंग है। यादव के खिलाफ 5 मामले तो 2014 में नगर निगम जयपुर में सीईओ रहते हुए भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज हुए हैं। इन फाइलों में अधिकतर में एसीबी ने प्राथमिक जांच के बाद ही मामले दर्ज किए थे। वहीं एक मामले पर हाईकोर्ट में आगामी 6 फरवरी को सुनवाई होनी है। जांच के नाम पर चार साल से फाइल एसीबी में एक ही जगह पड़ी हुई है। अब यादव को जिला कलेक्टर बनाए जाने के बाद इन 6 मामलों को लेकर ब्यूरोक्रेसी में खासी चर्चा चल रही है। इधर, आरोपों को आईएएस जगरूप सिंह ने खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि एसीबी ने मामले दर्ज किए थे उनमें कुछ भी तथ्य सामने नहीं आया है। वहीं एसीबी अधिकारियों का कहना है कि प्रारंभिक जांच के बाद मामला सही पाए जाने के बाद ही एफआईआर की थी। अभी जांच की जा रही है।
नगर निगम कमिश्नर रहने के दौरान जगरूप के खिलाफ 5 एफआईआर हुईं। इनमें यादव के साथ आयुक्त उद्यान बद्री प्रसाद शर्मा, तत्कालीन आयुक्त एलसी असवाल, तत्कालीन वित्तीय सलाहकार मुंशीराम, लेखाधिकारी रामस्वरूप गिल सहित 9 लोगों को आरोपी बनाया गया। ये मामले एसीबी ने उद्यान में सुरक्षा गार्ड के फर्जी बिल लगाने, फर्जी तरीके से सुरक्षा कार्य के बिल पेश करने, अनियमित भुगतान करने, डेलीवेजेज पर कर्मचारी लगाने के थे। एसीबी ने सभी पर केस दर्ज किया व कई दस्तावेज भी जब्त किए। किशनगढ़ रेनवाल में उपखंड अधिकारी रहते हुए जगरूप ने सिवायचक भूमि पर पट्टे काट दिए। एसीबी जांच के बाद एसीबी ने केस दर्ज किया व राज्य सरकार से अभियोजन स्वीकृति मांगी। सरकार ने आईपीसी की धारा 420 व 120 बी के तहत आरोप प्रमाणित मानकर चार्जशीट पेश करने को कहा। वहीं पीसी एक्ट सेक्शन 13 में केंद्र से अभियाेजन स्वीकृति देनी थी। केंद्र ने वापस राज्य सरकार को पत्र लिखा। अब अभियाेजन को लेकर एडवोकेट दिलीप सिंह जादौन ने हाईकोर्ट में रिट लगाई गई है। 6 फरवरी को सुनवाई होगी।
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कलेक्टर बनने के साथ ही सियासी गलियारों में चर्चा का दौर गर्म है। जानकारों की माने तो लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए जगरूप को जिला कलेक्टर की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सूत्रों के अुनसार जगरूप को जयपुर कलेक्टर के लिए कांग्रेस के एक मजबूत नेता लॉबिंग की है। बहरहाल, जब जिले के मुखिया पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे हो तो वह कमान कैसे संभालेगा। कुछ इस तरह की बाते तमाम लोग करते नजर आ रहे हैं। अब काम होगा या नहीं! ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
Content: Prakash