नई दिल्ली के प्रगति मैदान में 38वां भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला राजस्थान की जोड़ एवं बहुरंगी संस्कृति का प्रतीक बनता जा रहा है। यह संस्कृति देश-विदेश में अत्यधिक लोकप्रिय है। भारत व्यापार संवर्धन प्राधिकरण के अधिशाषी निदेशक दीपक कुमार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्थानी कलाकारों ने विदेशों में देश का गौरव बढ़ाया है। अगले वर्ष प्रगति मैदान के नए अंतर्राष्ट्रीय स्वरुप में आने के पश्चात राजस्थान सहित अन्य प्रदेशो के हस्त शिल्प उत्पादों के प्रदर्शन को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर और अधिक बढ़ावा मिल सकेगा। इससे पहले राजस्थान दिवस पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या में राजस्थानी कलाकारों द्वारा रंगारंग प्रस्तुतियां दी गई। प्रदेश के विभिन्न अंचलों से आये लोक कलाकारों ने राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध लोक नृत्य कालबेलिया, घूमर,तेरह ताली,चरी, बैल नृत्य, मयूर ,बृज की होली,चंग ढप आदि डांस के अलावा प्रदेश के लंगा लोक कलाकारों का खड़ताल एवं अलवर का भपंग वादन आदि कार्यक्रम प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत जोधपुर से आये रफीक लंगा एवं साथियों द्वारा प्रस्तुत खड़ताल वादन एवं गायन से हुई। नई दिल्ली में राजस्थान के कलाकार अनीशुद्दीन एवं साथी कलाकारों ने चरी नृत्य की प्रस्तुति दी। तत्पश्चात चूरू के पाबूसर से आये गोपाल गीला एवं साथियों ने चंग ढ़प नृत्य पेश किया। इसी प्रकार अलवर के युसुफ खान मेवाती ने भपंग वादन से सभी को गुदगुदाया। पाली के पादरला से आयी दुर्गा देवी एवं साथी कलाकारों ने तेरह ताली नृत्य प्रस्तुत किया।
अंतरराष्ट्रीय कालबेलिया नृत्यांगना गुलाबो की पुत्री राखी गुलाबो ने कालबेलिया एवं घूमर नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों की तालियां बटोरी। बूंदी के करवर से आये हरि शंकर नागर एवं साथियों ने बैल व कच्छी घोड़ी नृत्य से समा बांधा। पाली के पादरला से आयी दुर्गा देवी एवं साथी कलाकारों ने तेरह ताली नृत्य प्रस्तुत किया। सांस्कृतिक संध्या का समापन डीग भरतपुर के जितेंद्र पाराशर एवं साथी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत मयूर व फूलों की होली नृत्य से हुआ।
Read more: रामगढ़ विधानसभा का चुनाव फिलहाल के लिए स्थगित, जानिए वजह