लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस की करारी शिकस्त के बाद राजस्थान, कर्नाटक और मध्यप्रदेश की सरकारों पर भी संकट का बादल मंडरा रहा है। राजस्थान में 25 की 25 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की बुरी हार के बाद अब सीएम अशोक गहलोत व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट इसकी जिम्मेदारी लेने से बचते फिर रहे हैं। दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने समय देने के बावजूद भी सीएम गहलोत से मिलने से इंकार कर दिया था जिसके बाद प्रियंका गांधी ने गहलोत-पायलट से हार की वजह पूछी। प्रदेश कांग्रेस में अंतर्कलह इस कदर बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है कि कैबिनेट मंत्रियों से लेकर लोकसभा प्रत्याशियों ने हार के कारणों का पता लगाने के लिए अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

जयपुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी रही ज्योति खण्डेलवाल ने तो राहुल गांधी को पत्र के माध्यम से उनकी हार के संभावित कारणों की जानकारी भी दी है। खाद्य मंत्री रमेश मीणा ने हार के कारणों का पता लगाने की मांग की है। वहीं कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने भी मंत्रीपद से अपना इस्तीफा भेज दिया है। सहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना का कहना है कि अगर पार्टी हनुमान बेनीवाल से समय रहते गठबंधन कर लेती तो कांग्रेस को करारी हार का सामना नहीं करना पड़ता।

राजस्थान में कई नेताओं ने सीएम गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत के चुनाव लड़ने पर भी नाराजगी जताई है। इन नेताओं का कहना है कि सीएम ने प्रदेश की अन्य लोकसभा क्षेत्रों में ध्यान नहीं दिया और सबसे ज्यादा सक्रिय वे केवल जोधपुर में ही रहे। बुधवार को पीसीसी में सचिन पायलट ने पार्टी पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है जिसमें हंगामे के आसार होते दिख रहे हैं। अधिकतर नेता पार्टी की हार के कारणों पर खुलकर बोल दिए तो संगठन के लिए मुश्किल और ज्यादा बढ़ जाएगी।