राजस्थान में मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के कार्यकाल को इस महीने 4 साल पूर्ण हो चुके हैं। इन 4 सालों में प्रदेश में औद्योगिक विकास को जो उन्नति मिली है, जो विकास मिला है, वह अविश्वनीय है। यह विकास इतनी प्रगतिशील है कि अब अन्य राज्यों के साथ देश के बाहर के निवेशकों को भी राजस्थान का औद्योगित विकास आकर्षित करने लगा है। राजस्थान के विकास को प्रमुखता से ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने राज्य में बेहतर औद्योगिक विकास का वातावरण बनाने और प्रदेश में दूरगामी समग्र औद्योगिक विकास को दृष्टिगत रखते हुए महत्वपूर्ण घोषणाएं भी की हैं। राजे ने एमएसएमई दिवस 17 सितंबर, 2017 को राज्य के पहले उद्योग रत्न पुरस्कारों का वितरण करते हुए इस वर्ष को राज्य के सूक्ष्म, लघु और मध्य उद्योगों को समर्पित एमएसएमई वर्ष मनाने की घोषणा की। उन्होंने प्रदेश के निर्यातकों को प्रोत्साहित करते हुए निर्यात पुरस्कारों का भी वितरण किया।
मुख्यमंत्री के प्रयास और उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत के नेतृत्व में राज्य सरकार के समन्वित, आक्रामक व योजनाबद्ध विगत 4 सालों में आधा दर्जन से अधिक मल्टीनेशनल कंपनियों हीरो मोटोकार्प, जेसीबी, होंडा कार्स, श्रीबल्लभ पित्ती समूह और अल्ट्राटेक सीमेंट आदि ने उद्योग स्थापित किए हैं। जापान सरकार के आग्रह पर प्रदेश में घिलोट में दूसरा जापानी जोन विकसित किया गया है। राज्य में नीमराना व अजमेर के सिंघाना में सिरेमिक पार्क विकसित हो रहे हैं। इन्हीं प्रयासों से राजस्थान का औद्योगिक विकास पिछले 4 साल में दिन-ब-दिन तरक्की करने लगा है।
राजस्थान एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल का गठन
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी एमएसएमई दिवस पर राज्य से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के गठन की घोषणा की। इसी तरह से निर्यातकों की समस्याओं के त्वरित व सुगम निस्तारण हेतु एक्सपोर्ट प्रमोशन ब्यूरों के गठन, निर्यातकों के लिए नई व व्यावहारिक एक्सपोर्ट सब्सिडी योजना लागू करने,भामाशाह रोजगार सृृजन योजना में ब्याज अनुदान 4 प्रतिशत से बढ़ाकर 8 प्रतिशत एवं परियोजना हेतु बैंक ऋण सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने और उद्यमियों के विलम्बित भुगतान के प्रकरणों के शीघ्रातिशीघ्र निस्तारण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से स्टेट फेसिलिटेसन काउंसिल को विस्तारित करने की घोषणा भी की।
राज्य में औद्योगिक निवेश आकर्षित करने के अनवरत प्रयासों का परिणाम है कि प्रदेश में रिसर्जेंट राजस्थान के दौरान किए गए निवेश के एमओयू को धरातल पर उतारने में समूचे देश में राजस्थान अग्रणी रहा है। रिसर्जेंट राजस्थान में प्राप्त 3.38 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों में से 2.02 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर निवेशाधीन है। निवेश प्रस्तावों के रुपांतरण में राजस्थान ने 60 प्रतिशत की दर हासिल की है जोकि अपने आप में कीर्तिमान है।
2204 उद्यमियों ने किया 44.500 हजार करोड़ का निवेश
निवेश को बढ़ावा देने के लिए लागू राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2014 का लाभ प्राप्त करते हुए प्रदेश में 2204 उद्यमियों द्वारा 44 हजार 500 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। गत माह ही नई दिल्ली में आयोजित वल्र्ड फूड इण्डिया में पार्टनर स्टेट के रुप में हिस्सा लेते हुए खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 540 करोड़ रुपये के विनियोजन के एमओयू किए गए हैं। इसी का परिणाम है कि विगत 4 सालों में राज्य में 25 नए औद्योगिक क्षेत्र स्थापित किए गए हैं। रीको द्वारा 12,479 एकड़ भूमि अवाप्त कर 4,658 एकड भूमि विकसित की है। देश में सबसे बड़े औद्योगिक भूमि बैंक स्थापित करने वाले प्रदेशों में से राजस्थान एक है। राज्य के औद्योगिक क्षेत्रों में आधारभूत सुविधाओं के विकास पर 2594 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं। अलवर के सलारपुर औद्योगिक क्षेत्र में इलेक्ट्रोनिक सिस्टम डिजाइन एण्ड मेन्यूफेक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए ग्रीन फिल्ड इलेक्ट्रोनिक मेन्यूफेक्चरिंग कलस्टर विकसित किया जा रहा है।
सवा दो लाख उद्योग का पंजीकरण एक रिकॉर्ड
राज्य सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि केन्द्र सरकार के यूएएम पोर्टल पर 2 लाख 23 हजार 431 लघु, सूक्ष्म एव मध्यम उद्योग पंजीकृृत हुए हैं। उद्यमियों की स्वघोषणा के अनुसार इन उद्यमों में 31 हजार 257 करोड़ का पूंजी विनियोजना व 11 लाख 82 हजार युवा रोजगार से जुड़ पा रहे हैं। इज आफॅ डूइंग बिजनस क्षेत्र में भी राजस्थान देश के लीडर प्रदेशों की श्रेणी में शामिल है। 13 विभागों की 69 सेवाएं ऑन लाईन उपलब्ध कराई जाने लगी है। प्रगतिशील श्रम सुधारों के जरिए राजस्थान ने देश को एक नई राह दिखाई है।
अगले 10 सालों में 34 हजार करोड़ की कमाई का अनुमान
राज्य में रिफाइनरी की स्थापना में प्रदेश के हितों का खास ध्यान रखा गया और कम लागत और अधिक लाभ का समझौता किया गया है। राज्य में पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स की स्थापना से एक मोटे अनुमान के अनुसार आने वाले दस वर्षों में 34 हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय होने की संभावना है। गैरपरंपरागत उर्जा क्षेत्र सोलर पॉवर में देश मेंं अत्यधिक निवेश राजस्थान में होने जा रहा है। नोन कंवेशनल पॉवर सेक्टर में करीब एक लाख 23 हजार करोड़ रुपये की 6 परियोजनाओं पर काम हो रहा है। राज्य में निवेश प्रोत्साहन के लिए औद्योगिक आधारभूत संरचना विकास के लिए विशेष निवेश क्षेत्र (एसआईआर) अधिनियम 2016 में लागू कर दिया गया है और जल्दी ही रीजनल डवलपमेंट ऑथोरिटी तथा बोर्ड के गठन की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।
उद्यमिता प्रोत्साहन योजना से बढ़े रोजगार के अवसर
राजस्थान का औद्योगिक विकास के तहत ही विगत चार सालों में आरएफसी द्वारा 1131 करोड़ का ऋण स्वीकृत कर 795 करोड़ रुपये का ऋण वितरित कर 19,800 युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। आरएफसी द्वारा ही उद्यमिता प्रोत्साहन योजना में 5 करोड़ रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है जिसमें डेढ़ करोड़ रुपये तक के ऋण पर 6 प्रतिशत ब्याज सबवेंशन दिया जा रहा है। 210 उद्यमियों को ऋण दिया गया है। इसी तरह से रीको ने 731.19 करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत कर 638 करोड़ रुपये के ऋण वितरित कर दिए गए हैं। आरएफसी की प्रक्रिया को सरल करते हुए रीको औद्योगिक क्षेत्रों में होटल एवं हॉस्पिटल के लिए भी ऋण दिए जाने लगे हैं वहीं प्रोसेसिंग फीस में 50 प्रतिशत की कमी कर राहत दी गई है।
ब्याज अनुदान किया दोगुना
भामाशाह रोजगार सृजन योजना में ब्याज अनुदान को 4 प्रतिशत से बढ़ाकर 8 प्रतिशत कर दिया गया है। चार सालों में 13,751 आवेदकों को 200 करोड़ रुपये का ऋण उपलब्ध कराया गया है। पीएमईजीपी योजना में 7721 उद्यमियों को ऋण दिया गया है। खादी निर्माण में 38,391और ग्रामोद्योग में 14,071 व्यक्तियों को रोजगार दिया गया। रुडा द्वारा 11 हजार दस्तकारों को कौशल उन्नयन क्षमतावद्र्घन प्रशिक्षण और विपणन गतिविधियों से लाभान्वित किया गया। गृह उद्योग योजना में 7553 और उद्यमिता विकास योजना में 5071 व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया गया।
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