कोटा.सरकार की हठधर्मिता और आरटीएच बिल थोपने की मंशा के विरुद्ध चिकित्सकों का धरना प्रदर्शन निरंतर जारी है। बुधवार को प्रेसवार्ता में चिकित्सकों ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी सूरत में आरटीएच को नहीं मानेंगे इसके लिए यहां से पलायन करना पडे तो करेंगे ओर अस्पतालों को बंद करना पडे या बेचना पडे तो करेंगे लेकिन आरटीएच किसी भी सूरत में प्रेक्टिकल नहीं है। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. केके पारिक ने कहा कि सरकार को राइट टू हेल्थ ही लाना है तो वह अपनी योजनाओं में वृद्धि करे, सुविधाओं में वृद्धि करें, ये कहां का न्याय है कि किसी चलते हुए अच्छे सेटप पर कब्जा कर लिया जाए। डॉ. अखिल अग्रवाल ने कहा कि सरकार को आरटीएच की जगह ऐसा प्लान करना चाहिए कि वह हर अस्पताल में उपचार करा ले लेकिन उसका भुगतान पहले मरीज कर दे और उसके बाद सरकार मरीज के खाते में सीधा ही पेमेंट डाल दे। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए कि पूरे अस्पताल पर ही सरकार अधिकार जमा ले।
सरकार के पास चुनाव लड़ने के लिए कोई मुद्दा नहीं
डॉ. एसके गोयल ने कहा कि सरकार के पास चुनाव लडने के लिए कोई मुद्दा नहीं है, पहले ही चार साल से अपनी सरकार को बचाने की कोशिश चली आ रही है, सरकार के पास चुनाव लड़ने के लिए कोई मुद्दा नहीं हैं जिस कारण इस बिल के माध्यम से सहानुभूति लूटना चाहती है जो ठीक नहीं हैं. डॉ. मामराज अग्रवाल ने कहा कि यदि राजस्थान से पलायन करना पडे तो करेंगे और अस्पताल बंद करने की नौबत आएगी तो करेंगे या किसी को बेच देंगे लेकिन आरटीएच के साथ काम करना संभव नहीं हैं।
काला कानून, सफेद झूठ
डॉ. केवल डंग ने कहा कि कोरोना काल में सिर्फ सरकारी हॉस्पिटल ही नहीं अपितु सभी निजी चिकित्सालयों की सेवा के जज्बे से ही हम उस जंग को जीतने में कामयाब हो पाए थे। सरकार अपने आरटीएच नामक काले बिल में सफेद झूठ बोल रही है। बिल लाने से अच्छा है जो योजना चल रही है उनको ही बेहतर किया जाए। वैसे भी सभी को उपचार मिल रहा है, चिरंजीवी में कोई भी चिकित्सक उपचार के लिए मना नहीं कर रहा तो इसे लाने की आवश्यकता ही कहां है। जब एक चिकित्सक करोडो रूपए लगाकर आधुनिक सुविधाए सरकारी अस्पताल से पहले देता है तो इसका मतलब सरकार की व्यवस्थाएं फेल हो गई। क्यों व्यक्ति सरकारी अस्पताल से प्राइवेट की ओर आता है। उसे अच्छी सुविधा, उपचार और बेहतर स्वास्थ्य का वादा मिलता है।
यदि प्राइवेट अस्पताल भी सरकारी जैसे ही हो जाएंगे तो अच्छी सुविधा प्राप्त करने के लिए लोग कहां जाएंगे, लोग राजस्थान से बाहर उपचार करवाना शुरू कर देंगे। ये बिल तो सिर्फ स्वास्थ्य प्रदाता चुनने का बिल है। डॉ. राहुल अरोडा ने बताया कि जब मर्जी हो जिस समय हो जिससे हो उसको प्रताड़ित करने का बिल है। जिससे चिकित्सक और चिकित्साकर्मी डरे हुए हैं। भारतीय संविधान के अनुसार स्वास्थ्य देना सरकार की जिम्मेदारी है। सरकार आपको उचित स्वास्थ्य नहीं दे पा रही। सर्वे में ये साफ हो गया है कि 70 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाएं निजी चिकित्सालय दे रहे हैं। सरकार करोडों अरबो रूपए अस्पतालों पर खर्च करने के बाद अच्छी चिकित्सा सेवाएं देने में विफल रही है और अब निजी क्षेत्र में हस्तक्षेप कर प्रदेश का माहौल बिगाड रही है।
सरकार की शवयात्रा निकाली, अनशन जारी
आरटीएच के विरोध में सरकार की शव यात्रा निकाली गई। डॉ. अमित व्यास ने कहा कि सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई और सरकार की अर्थी निकालकर सरकार को चेतावनी दी गई की आरटीएच को वापस लेना ही होगा। वहीं धरना 12वें दिन भी जारी रहा।