जयपुर। राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले है। कुछ दिनों बाद चुनाव आयोग चुनावों की तारीखों को ऐलान करने वाले है। लेकिन अभी तक कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की ओर मुख्यमंत्री उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया गया है। बीते कुछ दिनों प्रदेश की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को बीजेपी की तरफ से सीएम फेस घोषित किए जाने की मांगी की जा रही है। आम जतना से लेकर बीजेपी कार्यकर्ता, विधायक और पूर्व मंत्री सहित सभी चाहते है कि एक बार फिर से राजे का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया जाए। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के एक विधायक ने कहा है कि मुझे वसुंधरा राजे से बड़ा कोई राजस्थान बीजेपी में नजर नही आ रहा है।
वसुंधरा राजे से बड़ा कोई नेता नजर नहीं आता
यूपी के गाजियाबाद के मुराद नगर के बीजेपी के विधायक अजीत पाल त्यागी ने कहा है कि राजस्थान में मुझे वसुंधरा राजे से बड़ा कोई नेता नजर नहीं आता। वे बड़ी नेता हैं, दो बार सीएम रही हैं। उन्होंने कहा कि सीएम चेहरे का ऐलान करना पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का काम है। मैं छोटा सा कार्यकर्ता हूं। वसुंधरा राजे हमारी पार्टी की बड़ी नेता हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हैं। उनके लिए मैं क्या कह सकता हूं। उनसे बड़ा नेता कोई है नहीं।
राजे को लेकर अरुण सिंह का बड़ा बयान
चुनाव से पहले प्रदेश बीजेपी राजस्थान के हर हिस्से में परिवर्तन यात्रा निकाल रही है। लेकिन इस यात्रा में पूर्व मुख्यमंत्री की गैरमौजूदगी चर्चा का विषय बनी हुई है। इसी मुद्दे पर प्रदेश भाजपा प्रभारी अरुण सिंह ने बड़ा बयान दिया है। अरुण सिंह ने मैडम राजे की गैरमौजूदगी को लेकर कहा- परिवर्तन यात्रा की शुरुआत में वो थीं और आगे भी परिवर्तन यात्राओं में वो आपको नजर आएंगी।
परिवर्तन यात्रा में जल्द ही दिखेंगी पूर्व सीएम
देश भाजपा प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि कहीं कोई दिक्कत नहीं है, आगे की यात्राओं में पूर्व सीएम राजे आ जाएंगी। इसके साथ ही अरुण सिंह ने आगे कहा- भारतीय जनता पार्टी की इस बार राजस्थान में ऐतिहासिक विजय होगी, सारे रिकॉर्ड तोड़ कर भारतीय जनता पार्टी इस बार विधानसभा में जाएगी।
2019 के लोकसभा चुनाव में खरी उतरी थीं राजे
हालांकि वसुंधरा के विरोधी सामुहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बातें करते हैं। इसके लिए हवाला 2018 विधानसभा चुनाव की हार का दिया जाता है। हालांकि इन चुनावों के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव की जिम्मेदारियां भी पार्टी ने वसुंधरा को सौंपी थी, जिसपर खरी उतरते हुए उन्होंने पार्टी को सूबे में क्लीन स्वीप करने में मदद की। जिस कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनावों के ठीक एक साल पहले ही सूबे में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई, उसे लोकसभा चुनावों में 25 में से एक भी सीट नसीब न हुई। 24 सीटों पर बीजेपी का कब्जा रहा।
जमीनी स्तर पर सारे दांव पेंच जानती हैं पूर्व मुख्यमंत्री
वसुंधरा जमीनी स्तर पर नेताओं को जोड़ने के सारे दांव पेंच जानती हैं। ऐसे में पार्टी ये समझ चुकी है कि वसुंधरा को दरकिनार किया गया तो पार्टी के भीतर ही कई धड़े हो जाएंगे, जिसका फायदा कांग्रेस पार्टी को मिल सकता है और इसका असर आगमी लोकसभा चुनाव पर भी पड़ना तय है। दक्षिण भारत में कमजोर बीजेपी हरगिज भी राजस्थान को विधानसभा फिर लोकसभा में गंवाना हरगिज नहीं चाहेगी।