एक तरफ राजस्थान में स्वाइन फ्लू का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार इसकी रोकथाम में नाकाम साबित हो रही है। स्वाइन फ्लू के आगे चिकित्सा विभाग के तमाम प्रयास नाकाफी दिख रहे है। गहलोत सरकार की उदासीनता का ही नतीजा है कि स्वाइन फ्लू की महामारी से मौतों के मामले में राजस्थान देशभर में सबसे अव्वल है। 60 मौतों व 1627 पॉजिटिव मरीजों की संख्या गहलोत सरकार के कुप्रबंधन को दर्शाती है।
प्रदेश में तेजी से पैर पसार रहे स्वाइन फ्लू के प्रकोप पर मानवाधिकार आयोग ने भी राज्य सरकार से जवाब मांगा है। आयोग ने 1 जनवरी 2017 से स्वाइन फ्लू से हुई मौतों, उपचार प्राप्त किए मरीजों की संख्या व समाधान के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बाबत अंतरिम रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने गहलोत सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि इतने कम समय में बड़ी संख्या में मौत होना चिंताजनक व विचार करने योग्य है। आयोग ने इस बारे में तथ्यात्मक रिपोर्ट 8 फरवरी तक भेजने को कहा है।
आयोग ने विशेष रूप से गांवों व छोटे शहरों के मरीजों का आंकड़ा एकत्रित करने तथा उपचार के प्रबंधन के बारे में भी जानकारी मांगी है। सरकार बनने के बाद स्वाइन फ्लू पर लगाम नहीं कस पाना कांग्रेस सरकार की भारी विफलता मानी जा रही है। स्वाइन फ्लू ही नहीं बल्कि किसान कर्जमाफी और बेरोजगारी भत्ते जैसे मुद्दों पर भी गहलोत सरकार ने कुछ काम नहीं किया है।