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मासूमों से दुष्कर्म के दोषियों को अब बख्शा नहीं जाएगा। पॉक्सो सहित 4 अधिनियमों में बदलाव को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिल चुकी है। अब से 12 साल तक की मासूम बच्चियों से दुष्कर्म पर मौत की सजा सुनाए जाने का प्रावधान किया गया है। केन्द्र ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। 22 अप्रैल से यह अध्यादेश लागू हो गया है। यह अधिसूचना राजस्थान सहित पूरे देशभर में लागू होगा। सख्त कानून बनने से मासूम बच्चियों सहित महिलाओं के साथ होने वाली शर्मनाक घटनाओं के नियंत्रण में आने की उम्मीद की जा रही है।

नियमों के अनुसार राष्ट्रपति की मंजूरी और अधिसूचना जारी होने के बाद अध्यादेश लागू हो जाता है। कानून बनाने के लिए 6 माह के भीतर इसे संसद से पारित कराना जरूरी होगा। इस अध्यादेश को संसद के मानसून सत्र में पेश कर कानून बनाया जाएगा।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को केन्द्रीय कैबिनेट ने ‘अपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश 2018’ को मंजूरी दे दी। इसके जरिए 4 कानूनों- भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), साक्ष्य अधिनियम, आपराधिक दंड संहिता (सीआपीसी) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण- पॉक्सो अधिनियम में संशोधन किया गया है।

अध्यादेश में शामिल किए यह प्रावधान

12 साल तक की मासूमों से दुष्कर्म तो:

  • दुष्कर्म के दोषी को कम से कम 20 साल कैद, उम्रकैद और मौत की सजा।
  • सामूहिक दुष्कर्म के दोषियों को कम से कम उम्रकैद या मौत की सजा।

16 साल तक की बच्चियों से दुष्कर्म तो:

  • कम से कम 20 साल की सजा।
  • सामूहिक दुष्कर्म पर उम्रकैद

महिलाओं से दुष्कर्म तो:

  • न्यूनतम सजा 7 साल से बढ़ाकर 10 साल कर दी गई है।

दुष्कर्मियों के लिए:

  • दुष्कर्म के आरोपियों को अग्रिम जमानत नहीं दी जाएगी।
  • आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई से 15 दिन पहले अभियोजक और पीड़िता व उसके परिजन को सूचना देना कोर्ट की जवाबदेही होगी।

पुलिस और कोर्ट के लिए:

  • नाबालिगों से दुष्कर्म के मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट बनेगी।
  • सभी थानों को फोरेंसिक जांच किट दी जाएगी।
  • 6 महीनों के भीतर अपील का निपटारा करना होगा।
  • पूरा मामला कुल 10 महीने में निपटाना अनिवार्य होगा।

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