जयपुर। आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने का मामला भले ही केन्द्र से पूरी तरह साफ हो गया हो। लेकिन, देश के कुछ राज्यों में यह कानून अभी भी अधर में लटका हुआ ही दिख रहा है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद भाजपा शासित राज्य गुजरात, झारखंड व उत्तर प्रदेश में आरक्षण को लागू कर दिया गया है, वहीं हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में कानून प्रक्रियाधीन है। लेकिन कांग्रेस शासित प्रदेश राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में अभी सरकारें इस पर निर्णय लेने के मूड में नहीं दिख रही है। हालांकि केंद्र की अधिसूचना के बाद राजस्थान में कैबिनेट की बैठक भी हो चुकी है, लेकिन इस पर कोई चर्चा नहीं हुई।
गहलोत सरकार की ढिलाई पर भाजपा सख्त
राजस्थान में नवनिर्वाचित विधानसभा के पहले ही सत्र में सवर्णों को आरक्षण देने का मामला भी खूब गरमाया। सदन में उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने राज्यपाल कल्याण सिंह के अभिभाषण के तुरंत बाद मामले को संज्ञान में लाते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने मात्र एक सप्ताह में आरक्षण को लागू करने की प्रक्रिया पूरी कर मिसाल कायम की है। लेकिन राज्य सरकार राजस्थान में इसे लागू करना तो दूर केन्द्र सरकार का आभार तक नहीं जता पा रही है। राठौड़ ने कहा कि सीएम गहलोत सवर्ण आरक्षण मामले पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। वैसे तो कांग्रेस सामान्य वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण दिलाने के दावे कर रही है लेकिन भाजपा सरकार ने जब इसे यथार्थ रूप से लागू कर दिया तो अब कांग्रेस आनाकानी कर रही है।
ये होंगे आरक्षण के पात्र
केन्द्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार सवर्ण आरक्षण का फायदा उन्हीं लोगों को मिलेगा जिनकी पारिवारिक सालाना आय 8 लाख रुपये से कम होगी। अभ्यर्थी के परिवार के पास 5 हेक्टेरयर से कम जमीन तथा 1000 स्क्वेयर फीट से कम क्षेत्रफल में घर होना चाहिए। अगर किसी का घर नगर पालिका क्षेत्र में हैं तो प्लॉट का आकार 100 यार्ड से कम होना चाहिए वहीं अगर घर गैर नगर पालिका वाले शहरी क्षेत्र में है तो भूमि का आकार 200 यार्ड से कम होना चाहिए।