जयपुर। प्रदेश में नई सरकार के गठन के दो माह बाद ही राजस्थान एक बार फिर से गुर्जर आंदोलन की आग में जल उठा है। 5 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर चेतावनियों से शुरू हुआ ये आंदोलन रेल की पटरियों से होते हुए सड़कों व हाइवे तक पहुंंचा चुका है। गुर्जर समाज की आक्रामकता को देख जहां गहलोत सरकार पहले ही सहमी-सहमी सी लग रही है। वहीं आंदोलन का नेतृत्व कर रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के आर-पार की लड़ाई वाले बयान से कांग्रेस सरकार चारों खाने चित दिखाई दे रही है। ऐसे में प्रदर्शन से प्रभावित क्षेत्रों में ट्रेनों के रद्द होने व बसों का संचालन बाधित होने से लोग घरों में ठहरे हुए हैं।
सीएम गहलोत को सैनी की हिदायत
गुर्जर आंदोलन पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष मदन लाल सैनी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हिदायत दी है। सैनी ने कहा कि राजस्थान सरकार यदि विधानसभा में प्रस्ताव पारित करवाकर केंद्र सरकार को भेजे तो वहां से पूरी मदद होगी। इस दौरान सैनी ने गुर्जरों की मांगों को उचित ठहराते हुए गहलोत सरकार पर राजनीति करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले पर राजनीति करने की बजाय प्रस्ताव को विधानसभा में पारित करवाने पर विचार करना चाहिए। सदन में प्रस्ताव पारित होने के बाद केन्द्र सरकार को वस्तुस्थिति से रूबरू करवाना चाहिए ताकि दिल्ली से भी राज्य सरकार को पूरी मदद मिल सके।
कांग्रेस का बीजेपी पर पलटवार
एक तरफ जहां राजस्थान गुर्जर आरक्षण की आग में झूलस रहा है, वहीं दूसरी ओर राजधानी जयपुर में सियासी घमासान जारी है। सत्ता पक्ष व विपक्ष इस मामले पर एक-दूसरे पर आरोप लगाकर खुद को सही साबित करने में लगे हुए हैं। गुर्जर आरक्षण मामले पर सीएम गहलोत ने भाजपा को जिम्मेदार ठहराते हुए गुर्जरों को आंदोलन के भड़काने का आरोप लगाया है। गहलोत ने कहा कि भाजपा सरकार के दौरान हमने कभी पांच साल में बैंसला जी को आंदोलन के लिए नहीं भड़काया। लेकिन प्रदेश में जैसे ही कांग्रेस की सरकार बनीं, भाजपा के नेता गुर्जर आरक्षण पर भड़काउ भाषण देकर गुर्जर समाज के लोगों को भड़का रहे हैं।